बाढ़ से जूझ रही दिल्ली के लिए नई मुसीबत ने दस्तक, विशेषज्ञों ने किया अलर्ट

उत्तर भारत में अधिकांश राज्यों में जमकर बारिश हो रही है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बाढ़ का कहर जारी है। यमुना नदी में जल स्तर अब तक के सबसे ऊंचे स्तर- 208 मीटर से अधिक पर पहुंच गया था। हालांकि अब धीरे धीरे कम हो रहा है। खतरे के निशान से लगभग 3 मीटर ऊपर बह रही यमुना का पानी बाढ़ का रूप लेकर दिल्ली को डराने लगा। कहीं रेगुलर टूटे तो कहीं पानी का भारी भराव हो गया। राजधानी में कई इलाके अभी भी जलमग्न है। कश्मीरी गेट, आईटीओ और राजघाट अभी भी जल-जमाव से जूझ रहे हैं। ऐसे हालात पर ध्यान नहीं दिया गया तो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा संकट पैदा हो सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का स्वास्थ्य संबंधी बड़ी समस्याओं को लेकर अलर्ट जारी किया है।

हेल्थ एक्सपर्ट्स ने दिल्ली में बाढ़ से जुड़ी कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं जाहिर की है। सबसे ज्यादा खतरा गंदे पानी से पनपने वाली बीमारियों को लेकर आंशका जताई जा रही है। यमुना नदी के बाढ़ का पानी सीवेज, औद्योगिक अपशिष्ट और अन्य हानिकारक पदार्थों सहित विभिन्न प्रदूषकों से दूषित हो सकता है। ऐसे में इस प्रदूषण से हैजा, टाइफाइड, हेपेटाइटिस ए और गैस्ट्रोएंटेराइटिस जैसी गंदे पानी से होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक बाढ़ के कारण पानी में मच्छर पैदा होने से मलेरिया का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। प्लाज़मोडियम परजीवी घातक संक्रामक बीमारी है जो मलेरिया का कारण बनती है। संक्रमित फीमेल एनोफिलिस मच्छरों के काटने से परजीवी मनुष्यों में ट्रांस्फर हो जाते हैं। मलेरिया होने पर लोगों को बुखार, थकावट, मतली और सिरदर्द की समस्या से जूझना पड़ सकता है।

बाढ़ के दौरान और उसके बाद मच्छरों की आबादी बढ़ने से डेंगू का खतरा बढ़ सकता है। बारिश के बाद जमा पानी में मच्छर ब्रीडिंग करते हैं। इसके बाद डेंगू का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है। डेंगू एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। यदि किसी इंसान को डेंगू हो जाता है तो इनमें बुखार, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द और सर्दी जैसे लक्षण नजर आते है।

लगातार पानी में रहने से हाइपोथर्मिया की भी परेशानी हो सकती है। ज्यादा देर पानी में रहने के कारण इंसान के शरीर का तापमान सामन्य से नीचे आ जाता है। शरीर का तापमान सामान्य यानी 35 डिग्री से नीचे चला जाता है। ऐसे हालात बहुत घातक हो सकती है। कई बार ऐसी स्थिति में इंसान की जान भी जा सकती है।

बाढ़ के दौरान और उसके बाद मच्छरों की आबादी बढ़ने से डेंगू बुखार, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी मच्छर जनित बीमारियां तेजी से फैलने का खतरा पैदा हो सकता है। इसके साथ ही दूषित बाढ़ के पानी के सीधे संपर्क से त्वचा संबंधी समस्याएं और संक्रमण हो सकते हैं। प्रदूषित पानी के संपर्क में आने वाले खुले घाव या कटे हुए घाव विशेष रूप से संक्रमण के प्रति संवेदनशील होते हैं। कई घंटों तक गंदे पानी और अस्वच्छ स्थितियों के संपर्क में रहने के कारण त्वचा पर चकत्ते, जलन और फंगल संक्रमण भी हो सकते है।

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