सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में एक ऐसा गांव है, जो अपने अनोखे नियमों के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। इस गांव के लोग न तो शराब पीते हैं, न सिगरेट और तंबाकू का सेवन करते हैं, बल्कि लहसुन और प्याज का उपयोग भी नहीं करते। यह अनोखी परंपरा यहां के लोगों की धार्मिक आस्था से जुड़ी हुई है, जो बाबा फकीरदास की मूर्ति के प्रति उनकी श्रद्धा को दर्शाती है।
बाबा फकीरदास का अनोखा मंदिर
गांव का नाम मिरगपुर है, और यहां स्थित बाबा फकीरदास का मंदिर इसकी पहचान है। यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है और इसकी मूर्ति के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। कई साल पहले, मुजफ्फरनगर के एक ढलाई व्यापारी के पास बाबा की एक मूर्ति पहुंची थी। व्यापारी ने मूर्ति की पूजा करनी शुरू की, लेकिन उसके बाद उसे लगातार सपने आने लगे। इन सपनों में बाबा फकीरदास उसे कहते थे कि “मेरी मूर्ति को मेरे मंदिर में वापस छोड़ दो।”
व्यापारी की खोज
यहां तक कि व्यापारी इस सपने से इतना परेशान हो गया कि उसके परिवार ने मूर्ति को खोजने की ठानी। व्यापारी की अचानक मौत हो गई, लेकिन उनके भाई संदीप रस्तोगी और उनके अन्य भाई ने मूर्ति को सही मंदिर में स्थापित करने का निर्णय लिया। एक रिश्तेदार की मदद से उन्होंने बाबा फकीरदास के मंदिर का पता लगाया और चुपचाप मूर्ति को वहां छोड़ आए।
गांव की परंपरा
जब गांव के लोगों को पता चला कि मूर्ति कैसे आई है, तो उन्होंने व्यापारी के भाइयों का स्वागत किया। बाबा फकीरदास की मूर्ति की पुरानी कहानी आज भी गांव में चर्चा का विषय है। यहां के लोग मानते हैं कि इस तरह की आस्था और अनुशासन ही उन्हें बुरी आदतों से दूर रखता है। यही वजह है कि गांव के लोग सैकड़ों साल से बिना लहसुन-प्याज और तंबाकू के जीवन बिता रहे हैं।
रहस्य और श्रद्धा
बाबा फकीरदास की मूर्ति की पुरानी उत्पत्ति और व्यापारी के पास कैसे पहुंची, यह एक रहस्य बना हुआ है। लेकिन यह निश्चित है कि इस गांव के लोग अपने नियमों और परंपराओं का पालन करते हुए एक अनोखा जीवन जी रहे हैं। यहां की धार्मिक भावना और अनुशासन ही इस गांव को खास बनाते हैं।