डिप्टी सीएम के पद का बढ़ता दबदबा, जानिए इसके पीछे के राजनीतिक कारण!

आजकल भारत में डिप्टी सीएम (उपमुख्यमंत्री) के पद की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। यह स्थिति देश के कई बड़े राज्यों में देखने को मिल रही है, जहां एक नहीं, बल्कि दो-दो उपमुख्यमंत्री बने हुए हैं। इस वक्त भारत में कुल 24 डिप्टी सीएम हैं, और हाल ही में महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे और अजित पवार के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद यह संख्या 26 को छूने वाली है। यह भारत में राजनीतिक समीकरणों और सत्ता संतुलन को साधने के लिए एक नई रणनीति बन चुकी है।

आज के समय में 16 राज्यों में उपमुख्यमंत्री हैं, और 9 ऐसे राज्य हैं जहां दो उपमुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में भी यह स्थिति देखने को मिल रही है। तमिलनाडु में तो पिता मुख्यमंत्री और बेटा उपमुख्यमंत्री पद पर बैठे हुए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर भारत में डिप्टी सीएम के पद की जरूरत क्यों पड़ी? और इसके पीछे का असली कारण क्या है?

डिप्टी सीएम के पद का संवैधानिक दर्जा

भारतीय संविधान में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य सवैंधानिक पदों की नियुक्ति का प्रावधान तो है, लेकिन डिप्टी पीएम और डिप्टी सीएम के पद का कहीं उल्लेख नहीं है। इसका मतलब यह है कि डिप्टी सीएम का पद संविधान में एक स्थायी और स्पष्ट पद के रूप में मौजूद नहीं है। यही कारण है कि इस पद के लिए कोई निश्चित नियम नहीं बनाए गए हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत राज्य सरकारों का गठन होता है, जिसमें मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों की नियुक्ति की बात की गई है, लेकिन उपमुख्यमंत्री का कोई जिक्र नहीं है।

इसलिए, डिप्टी सीएम को मिलने वाली सैलरी, भत्ते और सुविधाएं अन्य सामान्य कैबिनेट मंत्रियों के समान होती हैं। उपमुख्यमंत्री की शपथ भी कैबिनेट मंत्री के तौर पर ली जाती है, और फिर मुख्यमंत्री की सिफारिश पर राज्यपाल उन्हें उपमुख्यमंत्री का दर्जा प्रदान करते हैं।

डिप्टी सीएम कौन बन सकता है?

उपमुख्यमंत्री बनने के लिए एक सामान्य शर्त है कि व्यक्ति उस राज्य में मंत्री बनने की योग्यता रखता हो। कुछ राज्यों में केवल विधायक ही मंत्री बन सकते हैं, लेकिन कुछ राज्यों में, जहां विधानपरिषद भी है, वहां के सदस्य भी मंत्री बन सकते हैं।

इसके अलावा, राज्यों में उपमुख्यमंत्री की संख्या के बारे में कोई निश्चित रूल नहीं है। उदाहरण के तौर पर, आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने अपनी सरकार में 5 डिप्टी सीएम बनाए थे, जबकि कुछ राज्यों में एक या दो उपमुख्यमंत्री होते हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में अब दो डिप्टी सीएम हैं।

संविधान के अनुसार, किसी भी राज्य के कुल विधायकों का 15 प्रतिशत ही मंत्री बन सकते हैं (केंद्र शासित प्रदेशों को छोड़कर)।

उपमुख्यमंत्री के पास क्या शक्तियां होती हैं?

उपमुख्यमंत्री को आमतौर पर सीनियर मंत्री माना जाता है। यदि मुख्यमंत्री अनुपस्थित हों, तो उपमुख्यमंत्री कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, जब कर्नाटक में सिद्धारमैया मुड़ा स्कैम में फंसे थे, तो डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने उस मामले से संबंधित कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता की थी।

किस राज्य में कौन हैं उपमुख्यमंत्री?

  1. आंध्र प्रदेश – पवन कल्याण
  2. अरुणाचल प्रदेश – चाउना मीन
  3. बिहार – सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा
  4. छत्तीसगढ़ – अरुण साव और विजय शर्मा
  5. हिमाचल प्रदेश – मुकेश अग्निहोत्री
  6. जम्मू कश्मीर – सुरेंद्र चौधरी
  7. कर्नाटक – डीके शिवकुमार
  8. मध्य प्रदेश – जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला
  9. मेघालय – पी ताइसोंग और एस धर
  10. नगालैंड – वाई पैट और टीआ जेलियांग
  11. ओडिशा – के सिंह देव और पार्वती परिदा
  12. राजस्थान – प्रेम बैरवा और दीया कुमारी
  13. तमिलनाडु – उदयनिधि स्टालिन
  14. तेलंगाना – बी विक्रममार्क
  15. उत्तर प्रदेश – ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य

डिप्टी सीएम की नियुक्ति की तीन प्रमुख वजहें

1. जाति समीकरण साधने के लिए

भारतीय राजनीति में जाति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग जातियां हैं, जिनकी संख्या और सामाजिक ताकत अलग-अलग है। सरकार बनने पर पार्टी एक नेता को मुख्यमंत्री बनाती है, लेकिन बाकी जातियों को संतुष्ट करने के लिए डिप्टी सीएम का पद दिया जाता है।

उदाहरण के तौर पर, राजस्थान में बीजेपी ने ब्राह्मण समुदाय के भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया, जबकि ठाकुर वोटरों को साधने के लिए दीया कुमारी को डिप्टी सीएम बना दिया। इसी तरह, मध्य प्रदेश में ओबीसी समुदाय के मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया, जबकि दलित वोटरों को ध्यान में रखते हुए जगदीश देवड़ा और ब्राह्मणों को ध्यान में रखते हुए राजेंद्र शुक्ला को डिप्टी सीएम बना दिया गया।

2. गठबंधन सरकार के समीकरण को साधने के लिए

गठबंधन सरकारों में कई पार्टियां शामिल होती हैं, और मुख्यमंत्री केवल एक पार्टी के नेता को बन सकता है। ऐसे में अन्य पार्टियों को संतुष्ट करने के लिए डिप्टी सीएम का पद दिया जाता है। उदाहरण के तौर पर, महाराष्ट्र में तीन पार्टियां सरकार में शामिल हैं, जहां एक पार्टी का मुख्यमंत्री होता है और अन्य पार्टियों को संतुष्ट करने के लिए डिप्टी सीएम बनाए जाते हैं।

3. पार्टी नेताओं को संतुष्ट करने के लिए

कभी-कभी पार्टी के भीतर विभिन्न नेताओं के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए डिप्टी सीएम बनाए जाते हैं। उदाहरण के तौर पर, उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बनाया और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या को डिप्टी सीएम बना दिया। कर्नाटक में भी इसी तरह सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री और शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाया गया।

भारत में पहले उपमुख्यमंत्री कौन थे?

भारत में पहला डिप्टी सीएम बिहार के अनुग्रह नारायण सिंह थे, जो 1956 तक इस पद पर रहे। इसके बाद, 1990 के दशक से यह परंपरा अन्य राज्यों में भी शुरू हो गई। बिहार के सुशील कुमार मोदी सबसे लंबे समय तक डिप्टी सीएम रहे, लगभग 10 साल तक।

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