नेहा कौशिक: पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर हैश टैग #UrbanNaxals छाया हुआ है। लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि यह हैश टैग इन गिरफ्तारियों के बाद बनाया गया है तो ऐसा नहीं है।अर्बन नक्सल हैश टैग साल 2014 में ही वजूद में आ गया था।
आज अगर ट्विटर पर #UrbanNaxalsकी ट्रेंडिंग को देखा जाए तो कई सारे ट्विट्स ऐसे मिलेंगे जो 28 अगस्त, यानी पांचो सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी से पहले के हैं. इस हैशटेग पर सबसे पहला ट्वीट भाजपा के सत्ता में आने के बाद महाराष्ट्र के भाजपा प्रवक्ता अवधूत वाघ ने 5 जनवरी 2014 को किया था. उन्होने लिखा था कि अब शहरी माओवादियों के लिए सही शब्द अर्बन नक्सल मिल गया है.
@ArunHaiNa Arun the exact word is Urba Naxalites #urbannaxals
— Avadhut Wagh (@Avadhutwaghbjp) January 5, 2014
उसके बाद काफी समय तक के लिए इस हैशटेग का इस्तेमाल भाजपा विरोधी पार्टियों के लोगों के लिए किया गया. 2017 में इस हैशटेग को राजनीतिक मकसद देने का काम बॉलीवुड फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने अपनी किताब ‘अर्बन नक्सल’ और फिल्म ‘बुद्धा इन ए ट्रफिक जैम’ के जरिए किया और इसमें भारतीय जनता पार्टी से जुड़े लोगों ने सोशल मीडिया पर उनका खूब साथ दिया.
विवेक अग्निहोत्री ने अपनी किताब में शहरों में रहने वाले वाम विचारधारा के बुद्धिजीवियों पर नक्सलवादी गतिविधियों से जुड़ने के आरोप लगाए हैं. विवेक अग्निहोत्री ने हैशटैग अर्बन नक्सल पर अपना पहला ट्वीट 18 मई 2017 को किया था. जिसमें उन्होने दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और आदिवासी कार्यकर्ता मानी जाने वाली नंदिनी सुंदर की आलोचना की. दरअसल नंदिनी सुंदर पर पिछले साल एक आदिवासी की हत्या करने का आरोप लगा था, जिसके बाद वो विवेक अग्निहोत्री के निशाने पर आई थी.
न सिर्फ नंदिनी सुंदर बल्कि विवेक अग्निहोत्री ट्विटर पर सरकार की आलोचना करने वाले तमाम जाने-माने लोगों पर भी #UrbanNaxal के जरिए हमला कर चुके हैं.उनके ट्विटर अकाउंट के हवाले से उन्होने जेएनयू की छात्र नेता साहेला राशिद, सामाजिक कार्यकर्ता कविता कृष्णन, एक्ट्रेस स्वरा भास्कर, पत्रकार सिद्धार्थ वर्धराजन, कांग्रेस विधायक जिगनेश मेवाणी, प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण और पत्रकार बरखा दत्त आदि जैसे लोगों पर ट्वीट करते हुए #UrbanNaxal हैशटेग इस्तेमाल किया है.
When 76 CRPF jawans were killed in humanity’s biggest ambush on security forces, by barbarian #Naxals, this gang of #UrbanNaxals was celebrating it openly in JNU.
They are rattled now because the people of India have recognized them. https://t.co/9vMIwDinbe
— Vivek Agnihotri (@vivekagnihotri) September 2, 2018
ऐसे में यह कहना गलत नही होगा कि अर्बन नक्सल के मुद्दे की ईजाद और इस हैशटेग को ट्रैंड बनाने में विवेक अगिनहोत्री ने ही अहम भूमिका निभाई है. अपने एक ट्वीट में लिखा था कि हमें इन लोगों के लिए माओवादी नही बल्कि अर्बन नक्सल शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि माओवादी से वो वैचारिक संगठन जैसे लगते हैं.
द अर्बन नक्सल किताब और विवेक अग्निहोत्री द्वारा ट्वीटर पर अर्बन नक्सल पर किए गए ट्वीट्स के बाद इस मुद्दे को हवा मिली. जिसे भाजपा और भाजपा कार्यकर्ताओं ने और भी ज्यादा फैलाया.
बता दें कि 27 मई को इस किताब के दिल्ली में हुए विमोचन समारोह में खुद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी शामिल हुई थी. भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा, तेजेंद्रपाल बग्गा और अश्विनी उपाध्याय जैसे नेताओं ने इस किताब को हैशटेग के साथ प्रमोट करते हुए ट्वीट किए हैं.
यहां तक की भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी अर्बन नक्सल के कथित मुद्दे को ट्विटर पर अपना समर्थन दिया है. 14 जून को किए गए अपने एक ट्वीट में पात्रा ने अर्बन नक्सल हैशटेग का इस्तेमाल किया था, जिसमें उन्होने जिग्नेश मेवाणी पर हमला बोला था. इसकी वजह कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन करने पर युएन की रिपोर्ट थी जिसे मेवाणी ने शेयर किया था.
इनके अलावा सुनील आंबेकर जो भारतीय जनता पार्टी के छात्र संगठन एबीवीपी के राष्ट्रीय संगठन सचिव हैं वो भी अर्बन नक्सल को मुद्दा बताते हुए #UrbanNaxal के साथ ट्वीट कर चुके हैं. उन्होने इन अर्बन नक्सल पर यूएन में भारत की छवि खराब दर्शाने के आरोप लगाए थे.
न केवल जेएनयू बल्कि दिल्ली विश्वविधालय में भी शिक्षकों का एक ऐसा तबका तैयार किया जा रहा है जो भाजपा की विचारधारा का समर्थन करे. 28 तारीख को हुई कार्रवाई से चार दिन पहले एबीवीपी और जीआईए ग्रुप द्वारा दिल्ली के हंसराज कॉलेज में अर्बन नक्सलियों पर एक कार्यक्रम रखा गया था.
#UrbanNaxalism #UrbanNaxals
A program dedicated to expose the hidden enemies of our Nation .
Lets expose them @advmonikaarora @vivekagnihotri @SunilAmbekarM @abhijitmajumder @akbhagi63 pic.twitter.com/4eTbwvv4uV— Rachana Naidu (@naidu_rachana) August 24, 2018
जिसमें सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट और जीआईए ग्रुप की कन्वीनर मोनिका अरोड़ा, विवेक अग्निहोत्री, एबीवीपी के सचिव सुनील आंबेकर ने भी हिस्सा लिया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब इस बातचीत में स्वराज अभियान के छात्र संगठन के कुछ छात्रों ने सवाल करना शुरू किया तो उन्हें कार्यक्रम से बाहर कर दिया गया.
बता दें कि जीआईए की कन्वीनर मोनिका अरोड़ा ने भी 28 सितंबर से पहले अर्बन नक्सल के मुद्दे को उठाते हुए कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और उन्होने अर्बन नक्सल हैशटेग के साथ कुछ ट्वीट भी किए थे.
हालांकि कोर्ट ने पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के मामले में पुलिस को आरोप साबित करने के लिए 90 दिन का समय दिया है लेकिन अदालत की यह टिपण्णी कि असहमति लोकतंत्र में कुकर के सेफ्टी वॉल्व की तरह है, सोशल मीडिया पर अर्बन नक्सल के बराबर ही ट्रेंड कर चुकी है। पुलिस इन पाँचों की अदालत में नक्सल साबित कर पाती है या नहीं यह आने वाले वक़्त में पता चलेगा।