पंजाबी सिंगर और अभिनेता दिलजीत दोसांझ ने मेट गाला 2025 में अपने शानदार डेब्यू के साथ इतिहास रच दिया। न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट में आयोजित इस भव्य फैशन इवेंट में दिलजीत ने अपने रॉयल लुक से पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह को श्रद्धांजलि दी। पगड़ी पहनकर मेट गाला के रेड कार्पेट पर उतरने वाले पहले भारतीय स्टार बनकर उन्होंने पंजाबी संस्कृति को वैश्विक मंच पर गर्व के साथ प्रस्तुत किया। उनका यह लुक सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, और प्रशंसक इसे ‘पंजाबी छा गए’ कहकर सराह रहे हैं। चलिए इस स्टोरी में दिलजीत के नए अवतार के पीछे की कहानी को सुलझाने का प्रयास करते हैं।
रॉयल लुक में ऐसे चमके दिलजीत
दिलजीत का मेट गाला लुक नेपाली-अमेरिकी डिजाइनर प्रबल गुरुंग ने तैयार किया, जिसे स्टाइलिस्ट अभिलाषा देवनानी ने परफेक्शन के साथ पेश किया। दिलजीत ने ऑल-व्हाइट शेरवानी पहनी, जिसके साथ फ्लोर-लेंथ केप था। इस केप पर पंजाबी गुरमुखी लिपि में लिखाई थी, जो उनकी सांस्कृतिक जड़ों को उजागर करती थी। उनकी पगड़ी को कीमती गहनों से सजाया गया, और मल्टीपल नेकपीस के साथ एक आइकॉनिक ‘पटियाला हार’ ने उनके शाही अंदाज को पूरा किया। दिलजीत ने हाथ में तलवार पकड़कर महाराजा की छवि को जीवंत किया, जिसने अमेरिकी प्रेस का ध्यान खींचा।
पंजाबी संस्कृति का ग्लोबल प्रदर्शन
मेट गाला 2025 की थीम ‘Superfine: Tailoring Black Style’ और ड्रेस कोड ‘Tailored for You’ ने दिलजीत को अपनी पंजाबी विरासत को अनूठे अंदाज में पेश करने का मौका दिया। उनके आउटफिट में गुरमुखी लिपि का समावेश न केवल फैशन स्टेटमेंट था, बल्कि यह दुनिया को भारतीय भाषाओं और संस्कृति की ताकत दिखाने का संदेश भी था।
दिलजीत का यह लुक पंजाबी संस्कृति और महाराजा भूपिंदर सिंह की शाही विरासत का प्रतीक बन गया। सोशल मीडिया पर प्रशंसकों ने इसे ‘पटियाला स्टाइल’ और ‘महाराजा रणजीत सिंह के बेटे दिलीप सिंह से प्रेरित’ बताकर तारीफ की।
कौन थे महाराजा भूपिंदर सिंह?
महाराजा भूपिंदर सिंह (1891-1938) पटियाला रियासत के सबसे चर्चित शासकों में से एक थे। वे अपनी विलासिता, रॉयल स्टाइल, और अनोखी जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध थे। उनके पास 365 रानियां, 88 बच्चे, 44 रोल्स रॉयस कारें, और विश्व प्रसिद्ध ‘पटियाला हार’ था, जिसमें 2,930 हीरे जड़े थे। वे खेलों के प्रेमी थे और भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके थे। ‘पटियाला पैग’, एक मजबूत व्हिस्की कॉकटेल, उनकी देन माना जाता है। उनकी शाही पार्टियां और ऐश्वर्यपूर्ण जीवनशैली ने उन्हें ‘रॉयल स्टाइल के असली किंग’ की उपाधि दिलाई।
महाराजा भूपिंदर सिंह ने पटियाला को सांस्कृतिक और प्रशासनिक रूप से समृद्ध किया। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे के लिए कई सुधार किए। वे पंजाबी संस्कृति के संरक्षक थे और गुरमुखी लिपि को बढ़ावा देने में उनकी अहम भूमिका थी। उनकी शाही छवि और वैश्विक प्रभाव ने उन्हें भारतीय इतिहास में एक आइकॉनिक शख्सियत बनाया।
महाराजा की राग-रंग दुनिया का वो किस्सा…
महाराजा भूपिंदर सिंह की जीवनशैली का दूसरा पहलू उनके भोग-विलास और तांत्रिक रुचियों से जुड़ा था। वे कामशास्त्र और तंत्र विद्या के जानकार थे। दरभंगा रियासत से बुलाए गए कौलाचार्य पंडित प्रकाश चंद्र ने उनकी इच्छानुसार तंत्र की नई उपासना पद्धति शुरू की, जिसे आलोचकों ने उनकी व्यक्तिगत वासनाओं की पूर्ति का माध्यम बताया। इस दौरान रानियों और दरबारियों को शामिल करने की बातें भी विवाद का कारण बनीं। हालांकि, उनके समर्थक इसे उनकी धार्मिक स्वतंत्रता और तांत्रिक परंपराओं का हिस्सा मानते हैं।