दिवाली की तारीख पर फिर फंसा पेंच, काशी के विद्वान बोले- एक नवंबर शुभ तिथि, बताई ये वजह

काशी: इस साल दीवाली का पर्व 1 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। काशी के विद्वानों ने इस तिथि की पुष्टि की है और इसके पीछे कई वैज्ञानिक और धार्मिक कारण भी बताए हैं। दीवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो प्रकाश और अंधकार की लड़ाई का प्रतीक है।

काशी के विद्वान जयराम तिवारी के अनुसार, दीवाली की तिथि हर साल बदलती है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार तय होती है। उन्होंने बताया कि इस साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 1 नवंबर को आ रही है, जो दीवाली मनाने के लिए सबसे उपयुक्त है। विद्वानों का मानना है कि इस दिन देवी लक्ष्मी का आगमन होता है और लोग अपने घरों में दीप जलाकर उनका स्वागत करते हैं।

दीवाली का महत्व

दीवाली का त्योहार न केवल दीप जलाने का पर्व है, बल्कि यह समृद्धि, खुशहाली और एक नई शुरुआत का भी प्रतीक है। इस दिन लोग अपने घरों को साफ करते हैं, सजाते हैं और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं। बच्चे पटाखे फोड़ते हैं और परिवार के सदस्य एक साथ मिलकर इस पर्व को मनाते हैं।

क्यों होती है तारीख में बदलाव?

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल दीवाली की तिथि में बदलाव होता है, जो चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करता है। चंद्रमा की चाल और तिथियों की गणना के अनुसार ही दीवाली की तिथि निर्धारित की जाती है। इस बार अमावस्या तिथि का आना 1 नवंबर को हो रहा है, इसलिए दीवाली इसी दिन मनाई जाएगी।

दीवाली की तैयारियों का समय अब करीब आ गया है। लोग अपने घरों की सफाई, सजावट और खरीददारी में जुट गए हैं। बाजारों में दीपों, मोमबत्तियों, मिठाइयों और सजावटी सामान की रौनक बढ़ गई है। दुकानदार भी इस मौके पर विशेष ऑफर और छूट दे रहे हैं ताकि अधिक से अधिक लोग खरीदारी कर सकें।

लोक परंपरा और संस्कृति

काशी में दीवाली के मौके पर खास पारंपरिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं। यहां के लोग इस दिन विशेष पूजा करते हैं और अपने परिवार के साथ मिलकर लक्ष्मी पूजन करते हैं। विद्वानों का मानना है कि इस दिन किए गए पूजा-अर्चना से जीवन में सुख और समृद्धि का संचार होता है।

इस साल दीवाली का पर्व 1 नवंबर को मनाने की तैयारी कर रहे लोग अपनी-अपनी योजनाओं में जुट गए हैं। काशी के विद्वानों द्वारा दी गई तिथि और इसके पीछे के कारण इस पर्व को और भी खास बना देते हैं। दीवाली न केवल दीपों का पर्व है, बल्कि यह एक नई शुरुआत का प्रतीक भी है, जिसमें सभी एक-दूसरे के साथ प्रेम और सद्भाव से जुड़ते हैं।

 

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