रोटी, शिक्षा, रोजगार और सूचना के अधिकार: मनमोहन सिंह के नाम से क्यों रहेंगे यादगार

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह, जिन्होंने गुरुवार रात 92 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया, भारतीय राजनीति और समाज के एक अहम नेता थे। वे न केवल एक सक्षम प्रधानमंत्री के रूप में जाने गए, बल्कि उन्होंने अपनी नीतियों से देश की राजनीति को नया मोड़ दिया और लोगों की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए कई ऐतिहासिक निर्णय लिए। उनका प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल कई ऐसे महत्वपूर्ण कानूनों की नींव रख गया, जिनकी गूंज आज भी महसूस की जा रही है।

मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने से पहले और बाद में कई बदलाव हुए, जिन्होंने भारतीय समाज में कई बुनियादी अधिकारों की स्थापना की। उनके कार्यकाल के दौरान ही ऐसे अधिकारों को कानूनी मान्यता मिली, जिनसे आम आदमी का जीवन बेहतर बना। शिक्षा, भोजन, रोजगार और सूचना जैसे अधिकारों को संवैधानिक रूप से मान्यता मिली, और ये सभी अधिकार आज भी लाखों लोगों की मदद कर रहे हैं। चलिए जानते हैं, मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान लागू हुए कुछ ऐतिहासिक कानूनों के बारे में।

1. मनरेगा: गांव-गांव में रोजगार की गारंटी

मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में एक योजना लागू की गई, जिसने गांवों में रोजगार के अवसरों को बढ़ाया और ग्रामीण इलाकों में बुनियादी ढांचे का निर्माण किया। यह योजना थी महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), जो 2005 में लागू हुई। इस योजना का मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी को कम करना और गांव-गांव में रोजगार का अवसर देना था।

मनरेगा के तहत हर परिवार को 100 दिन तक रोजगार की गारंटी दी गई। इस योजना ने न सिर्फ गरीबी को कम किया, बल्कि गांवों में विकास की नई राहें खोलीं। इसके तहत बनने वाली सड़कें, कुएं और जल निकासी व्यवस्थाएं अब गांवों में आम बात हो गई हैं। खासकर कोरोना महामारी के दौरान, जब लाखों प्रवासी मजदूर अपने घर लौटे, तब मनरेगा ने उन्हें रोजगार का सहारा दिया और उनके लिए जीवनरेखा बनकर उभरी।

इस योजना ने साबित किया कि बुरे समय में भी यह सरकार और योजना आम लोगों के लिए मददगार साबित हो सकती है। हालांकि, राजनीतिक बयानबाजियों के बीच भी मनरेगा आज भी ग्रामीण भारत की सबसे महत्वपूर्ण योजना बनी हुई है।

2. सूचना का अधिकार (RTI): जनता के हाथ में पारदर्शिता का हथियार

भारत में सूचना का अधिकार (RTI) 2005 में लागू हुआ और इसने देश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव किया। यह कानून हर नागरिक को यह अधिकार देता है कि वह सरकारी विभागों से जानकारी मांग सके। इसके जरिए सरकारी कामकाज की पारदर्शिता बढ़ी और आम जनता को यह जानने का अधिकार मिला कि उनकी सरकार किस तरह काम कर रही है।

इस कानून ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को मजबूत किया। यह आम आदमी के लिए एक सशक्त हथियार बनकर उभरा और प्रशासन के अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाया। मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यह कानून लागू हुआ, लेकिन इसकी शुरुआत असल में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार से हुई थी। हालांकि, वह इसके लिए नियमों को लागू करने में सफल नहीं हो पाए थे।

3. राइट टू एजुकेशन: हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार

मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत में एक और ऐतिहासिक कानून पारित हुआ, राइट टू एजुकेशन (RTE), जो 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ। इस कानून के तहत देश के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया गया। इससे छह से चौदह साल के बच्चों को शिक्षा के लिए सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने का अधिकार मिला।

मनमोहन सिंह ने इस कानून को लागू करने के दौरान कहा था कि “शिक्षा सिर्फ एक सुविधा नहीं है, बल्कि यह हर बच्चे का अधिकार है।” इससे देश के करोड़ों बच्चों को सीधा लाभ मिला, खासकर उन बच्चों को जो संसाधनों की कमी की वजह से शिक्षा से वंचित रह जाते थे। यह कानून आज भी बच्चों की शिक्षा में सुधार करने का एक बड़ा माध्यम बना हुआ है।

4. राइट टू फूड एक्ट: हर थाली में भोजन की गारंटी

मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए, 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (Right to Food Act) को लागू किया गया। यह कानून देश के प्रत्येक जरूरतमंद नागरिक को सस्ते दामों पर भोजन उपलब्ध कराने का काम करता है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य था कि कोई भी भारतीय भूखा न रहे और हर व्यक्ति तक पर्याप्त पोषण पहुंच सके।

इसके तहत लगभग 67% भारतीय आबादी को रियायती दरों पर खाद्यान्न मिलता है। इसके अलावा, यह सुनिश्चित किया गया कि गरीब और वंचित वर्ग को 5 किलो अनाज हर महीने दिया जाए, और यह अनाज बहुत सस्ते दामों पर उपलब्ध हो, जैसे चावल 3 रुपये प्रति किलो और गेहूं 2 रुपये प्रति किलो। इस कानून में खास बात यह थी कि इसके तहत परिवार की मुखिया महिला को बनाया गया, ताकि महिलाएं भी सशक्त बन सकें।

मनमोहन सिंह की विरासत

मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री कार्यकाल में लागू किए गए ये सभी कानून उनकी स्थायी विरासत हैं। उन्होंने न केवल भारतीय राजनीति में बदलाव लाने के लिए ऐतिहासिक फैसले किए, बल्कि आम आदमी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनका योगदान आज भी महसूस किया जा रहा है, और उनके नाम से ये कानून हमेशा याद रखे जाएंगे।

इन योजनाओं और कानूनों की वजह से भारत के गरीब और वंचित वर्ग के जीवन में बड़े बदलाव आए हैं। चाहे वह शिक्षा का अधिकार हो, सूचना का अधिकार हो, या रोजगार और खाद्य सुरक्षा का अधिकार, मनमोहन सिंह ने अपनी नीतियों से हर नागरिक के लिए बेहतर भविष्य की नींव रखी। यही कारण है कि वे हमेशा एक ऐसे प्रधानमंत्री के रूप में याद किए जाएंगे, जिन्होंने भारतीय समाज में बदलाव लाने के लिए काम किया।

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