नई दिल्ली। ब्रिटेन की हेल्थकेयर कंपनी एस्ट्राजेनेका के कोरोना वैक्सीन के मामले में लोगों को काफी डर है। इसकी वजह ये है कि एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन के हाईकोर्ट में माना है कि उसका टीका लेने वाले कुछ लोगों में थ्रोम्बोसिस और थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी टीटीएस हो सकता है। इन दोनों ही मामलों में शरीर में खून का थक्का बन जाता है और प्लेटलेट की कमी भी होती है। एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने बनाया था। इस मामले में अब तक सीरम इंस्टीट्यूट का कोई बयान नहीं आया है।
जानकारी के मुताबिक थ्रोम्बोसिस और थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के अलावा एस्ट्राजेनेका की एडिनोवायरस वैक्सीन के कई और दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। इनमें गुइलेन बैरे सिंड्रोम भी है। गुइलेन बैरे सिंड्रोम में हाथ और पैरों में लकवा हो सकता है। चेहरे में कमजोरी यानी बेल्स पॉल्सी, स्ट्रोक, सेरेब्रल साइनस थ्रोम्बोसिस और दिल का दौरा भी इस वैक्सीन के दुष्प्रभावों में शामिल है। खून में थक्का बनने की जानकारी सामने आने के बाद कई देशों ने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लगाना रोक दिया था।
इससे पहले अमेरिका में बनी जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी की कोरोना वैक्सीन के भी तमाम दुष्प्रभाव सामने आए थे। भारत में कोरोना की वैक्सीन लगाने के बाद इससे संबंधित कुछ मरीजों का मामला सामने आया था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कोरोना की वैक्सीन लेने के बाद भारत में 620 लोगों की जान भी गई। देश की आबादी को देखते हुए ये संख्या बहुत ही कम है।
एस्ट्राजेनेका ने अब एक बयान जारी कर उसकी वैक्सीन से हुई मौतों और लोगों को दिक्कतों पर अपनी संवेदना जाहिर की है। एस्ट्राजेनेका ने अपनी वैक्सीन को काफी सुरक्षित भी बताया है, लेकिन जिस तरह थ्रोम्बोसिस और थ्रोम्बोसाइटोपेनिया की बात उसने कोर्ट में मानी है, उससे लोगों में स्वाभाविक तौर पर डर है। हालांकि, तमाम सोशल मीडिया हैंडल्स पर कई डॉक्टरों ने लोगों से न डरने को कहा है। इन डॉक्टरों ने कहा है कि वैक्सीन लेने के कुछ दिन बाद ही समस्या हो सकती है। लंबे समय में वैक्सीन के दुष्प्रभाव होने की कोई आशंका नहीं होती। साथ ही डॉक्टरों का कहना है कि हर दवा का शरीर पर कुछ न कुछ दुष्प्रभाव होता ही है।