दिल्ली-NCR में भूकंप के साथ गड़गड़ाहट की आवाज क्यों? क्या क्लाइमेट चेंज से है नाता? जानें एक्सपर्ट्स की राय

दिल्ली-एनसीआर के लोगों की सुबह सोमवार को कुछ अलग ही अंदाज में हुई। सुबह 5:30 बजे अचानक धरती कांप उठी। 4.0 तीव्रता के इस भूकंप का केंद्र दिल्ली में ही था और यह सतह से सिर्फ 5 किलोमीटर नीचे स्थित था। भूकंप के झटके दिल्ली के कई इलाकों में महसूस किए गए, जिससे कई लोग नींद से जाग गए और दहशत में घरों से बाहर निकल आए।


भूकंप के साथ तेज आवाज क्यों आई?

इस बार के भूकंप में एक अनोखी चीज़ देखने को मिली—लोगों ने सिर्फ झटके ही नहीं बल्कि तेज गड़गड़ाहट की आवाज भी सुनी। TV9 भारतवर्ष से बातचीत में मौसम और भूकंप विशेषज्ञ आनंद शर्मा ने बताया कि यह “शैलो” भूकंप था। इसका केंद्र सिर्फ 5 किलोमीटर की गहराई पर था, जिससे सिस्मिक वेव्स (भूकंपीय तरंगें) सीधा धरती की सतह पर पहुंच गईं। जब ऐसा होता है, तो ये तरंगें हवा में ट्रांसमिट होकर साउंड वेव्स में बदल जाती हैं, जिससे भूकंप के दौरान गड़गड़ाहट सुनाई देती है।


शैलो यानी उथले भूकंप क्या होते हैं?

जब भूकंप की जड़ें ज़मीन के सिर्फ 5 से 10 किलोमीटर नीचे होती हैं, तो इसकी मारक क्षमता कहीं ज़्यादा होती है। दरअसल, शैलो भूकंप (0-70 किमी गहरे), मध्यम गहराई वाले भूकंप (70-300 किमी) और गहरे भूकंप (300-700 किमी) ये तीन कैटेगरी होती हैं, लेकिन सबसे ज़्यादा तबाही उथले यानी शैलो भूकंप मचाते हैं।

द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसकी एक भयावह मिसाल नवंबर 2022 में इंडोनेशिया में देखने को मिली थी, जब 5.6 तीव्रता के भूकंप ने मुख्य द्वीप जावा पर कहर बरपा दिया। सैकड़ों इमारतें ढह गईं, लोग दहशत में सड़कों पर भागने लगे, और 160 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई।


क्या भूकंप का क्लाइमेट चेंज से कोई संबंध है?

भूकंप और जलवायु परिवर्तन के संबंध को लेकर एक्सपर्ट्स की राय बंटी हुई है। एक विशेषज्ञ के मुताबिक, धरती के तापमान में अचानक बदलाव भूकंप का कारण बन सकता है। उन्होंने इसे इंसानी शरीर के तापमान नियंत्रण से जोड़ा। जैसे हमारा शरीर अचानक तापमान बढ़ने पर प्रतिक्रिया करता है, वैसे ही धरती भी तापमान असंतुलन के कारण कंपन महसूस कर सकती है।

हालांकि, एक अन्य पर्यावरणविद ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि अभी तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण यह साबित नहीं करता कि क्लाइमेट चेंज का सीधा असर भूकंप पर पड़ता है। भूकंप मुख्य रूप से धरती के अंदर प्लेटों की गति के कारण आते हैं, जिसका जलवायु परिवर्तन से कोई ठोस संबंध नहीं है।


भविष्य के लिए चिंता की बात?

दिल्ली और आसपास के इलाकों में बार-बार भूकंप के झटके आना निश्चित रूप से चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का मानना है कि उथले भूकंप ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं क्योंकि इनका प्रभाव सतह के करीब होने की वजह से तेज महसूस होता है और इमारतों को नुकसान पहुंचा सकता है। हालांकि, आज के भूकंप की तीव्रता कम थी, इसलिए किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं आई।

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