निर्वाचन आयोग ने दी राजनीतिक दलों को चेतावनी, इन शब्दों का इस्तेमाल किया तो जाना पड़ सकता है जेल!

निर्वाचन आयोग ने दी राजनीतिक दलों को चेतावनी,  इन शब्दों का इस्तेमाल किया तो जाना पड़ सकता है जेल!

दिव्यांगजनों को अपमानित करने वाले पागल, सिरफिरा, गूंगा, अंधा, काना, बहरा, लंगड़ा, लूला जैसे शब्द बोलना राजनीतिक दलों को मुश्किल में डाल सकता है। भारतीय निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को चेताया है कि अपने संवाद में दिव्यांगजनों के सम्मान का विशेष ख्याल रखा जाए।

दिव्यांगजनों का अपमान किए जाने पर दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 में सजा का प्रावधान है। इसके अंतर्गत 6 माह से पांच साल तक सजा और जुर्माने का दंड दिया जा सकता है।

निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसके बाद राजस्थान के राज्य निर्वाचन आयोग ने भी दलों से दिव्यांगजनों के सम्मान से संबंधित कानूनी प्रावधानों का पालन कराने को कहा था। अब भारतीय निर्वाचन आयोग ने मुहिम को राष्ट्रव्यापी रूप देकर आगे बढ़ाया है।
ऐसा करने पर राजनीतिक पार्टी को होगी मुश्किल

1. राजनीतिक दल या उनके उम्मीदवार भाषण/प्रचार-अभियान में गूंगा, पागल, सिरफिरा, अंधा, काना, बहरा, लंगड़ा, लूला, अपाहिज जैसे शब्दों के उपयोग से बचें। दिव्यांगजनों के प्रति आदर और सम्मान का भाव दिखाएं ।

2. बयान/भाषण, लिखित सामग्री या अभियान में मानवीय अक्षमता के संदर्भ में दिव्यांगजनों से संबंधित अपमानजनक शब्दों का उपयोग नहीं करें।

3. ऐसी टिप्पणियों से बचें जो नि:शक्तता/ दिव्यांगजनों के प्रति पूर्वाग्रहों को दर्शाती हों।

4. ऐसी भाषा, शब्दावली, संदर्भ, उपहास, संदर्भ का उपयोग नहीं हो, जिनके लिए दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 92 में सजा का प्रावधान है।

5. दिव्यांगजनों के प्रति भाषा में सुधार के लिए राजनीतिक दल भाषण, सोशल मीडिया पोस्ट, विज्ञापनों और प्रेस विज्ञप्तियों सहित सभी प्रचार-अभियान सामग्रियों की समीक्षा करें।

6. राजनीतिक दल अपनी वेबसाइट पर घोषित करें कि वे नि:शक्तता एवं जेंडर संबंधी संवेदनशील भाषा और शिष्ट भाषा का उपयोग करेंगे।

7. राजनीतिक दल वेबसाइट और सोशल मीडिया विषय-वस्तु को ऐसे फॉर्मेट में तैयार कराएं कि उसका दिव्यांगजन भी लाभ ले सकें।

8. राजनीतिक दल भाषा से संबंधित दिव्यांगजनों की शिकायतों को सुनने के लिए नोडल प्राधिकारी नियुक्त करें।

 

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