मंगलवार देर शाम प्रवर्तन निदेशालय ने कर्नाटक कांग्रेस के एक अहम नेता डीके शिवकुमार को अरेस्ट कर लिया है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब ईडी के अधिकारी गिरफ़्तारी के बाद रूटीन चेकअप के लिए उन्हें नई दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जा रहे थे। कर्नाटक में पूर्ववर्त कांग्रेस-जेडीएस और उससे पहले की कांग्रेस सरकार में डीके शिवकुमार कैबिनेट में थे।डीके शिवकुमार के राजनीतिक करियर के लिए गुजरात की एक राज्यसभा सीट के लिए हुआ चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है।
राजनीतिक तौर पर, बीजेपी इसे भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई बताती है लेकिन कर्नाटक की भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का बयान बेहद चौंकाने वाला है। अपने एक बयान में येदियुरप्पा ने कहा है कि वो प्रतिशोध से प्रेरित राजनीति पर यक़ीन नहीं करते हैं। उन्होंने यह उम्मीद भी जताई है कि शिवकुमार इस क़ानूनी लड़ाई को अच्छी तरह लड़ेंगे। अपने बयान में येदियुरप्पा ने कहा कि शिवकुमार की जीत पर उन्हें खुशी होगी ऐसी स्थिति में कांग्रेस की ओर से किस तरह के बयान आएंगे, अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
कांग्रेस के नेता एक के बाद एक इसे केंद्र की ध्यान भटकाने की एक साजिश बता रहे हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि लचर अर्थव्यवस्था के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए सत्तारूढ़ बीजेपी ऐसा कर रही है। वहीं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी का कहना है कि बीजेपी ने आपातकाल की घोषणा तो नहीं की लेकिन जो कुछ वो कर रही है वो आपातकाल से कम भी नहीं शिवकुमार के वकील श्याम सुंदर ने बीबीसी हिंदी से बातचीत में आरोप लगाया कि प्रवर्तन निदेशालय का यह क़दम ‘पूरी तरह प्रतिशोध’ है।
उन्होंने कहा, “प्रवर्तन निदेशालय ने आयकर विभाग की शिकायत के आधार पर केस रजिस्टर किया है। आयकर विभाग ने कार्रवाई शुरू की थी लेकिन कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी।” यह मामला 8.33 करोड़ रुपये का है। यह रकम आयकर विभाग के अधिकारियों को कथित तौर पर दिल्ली के उस अपार्टमेंट से मिली थी जहां शिवकुमार रुके हुए थे। हालांकि शिवकुमार का कहना है कि उनका इन पैसों से कोई लेना-देना नहीं है।
शिवकुमार के वक़ील श्याम सुंदर कहते हैं कि अदालत के आदेश के साथ ही इस मामले को निराधार कर दिया गया था। उन्होंने कहा, “आयकर विभाग ने प्रवर्तन निदेशालय से शिकायत की कि इस अवैध रकम की जांच प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत की जानी चाहिए और यह पीएमएलए के तहत अपराध नहीं है।”
श्याम कुमार कहते हैं कि अभी तक ईडी ने उन आरोपों के बारे में भी कोई बयान जारी नहीं किया है जिनके आधार पर शिवकुमार को गिरफ्तार किया गया तो, क्या शिवकुमार को इसलिए गिरफ़्तार किया गया कि बीते चार दिनों की पूछताछ के दौरान उन्होंने ईडी के अधिकारियों को ठीक जवाब नहीं दिये और सहयोग नहीं किया।
श्याम सुंदर इससे साफ़ इनक़ार करते हैं –
“बिल्कुल भी नहीं.संविधान का अनुच्छेद 20(3) शांत रहने का अधिकार देता है कोई भी किसी को जवाब देने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है कोई ये कैसे कह सकता है कि वह वो जवाब नहीं दे रहे हैं जो उन्हें चाहिए। कन्नड़ टेलीविज़न के दर्शकों ने उस दिन एक ऐसे शख़्स को आंसुओं में डूबा देखा जिसने अपने विरोधियों से ना जाने कितनी लड़ाइयां लड़ीं हैं। सोमवार को गणेश चतुर्थी थी और शिवकुमार अपने पिता की ‘समाधि’ पर जाना चाहते थे।
प्रवर्तन निदेशालय से इसके लिए अनुमति मांगी लेकिन ईडी ने मना कर दिया। जिसके बाद टीवी पर सैकड़ों लोगों ने इस शख़्स को आंसुओं को रोकने की कोशिश करते देखा। वोक्कालिंगा समुदाय के लोग गणेश चतुर्थी की परंपराओं से बहुत गहराई से जुड़े हुए हैं। नाम न छापने की शर्त पर शिवकुमार के एक सहयोगी कहते हैं “यह कोई राजनीतिक नाटक नहीं था। यह बहुत ही स्पष्ट है। हम वोक्कालिंगा समुदाय के लोग इस पूजा से बहुत गहराई से जुड़े हुए हैं। जिस तरह से उनके साथ बर्ताव किया गया, उसका इस क्षेत्र में समुदाय पर प्रभाव पड़ना तय है।”
ये बात इसलिए भी अहम है क्योंकि दो साल पहले जब शिवकुमार पर ईडी और आयकर अधिकारी शिकंजा कस रहे थे तो कांग्रेस की केंद्रीय समिति की ओर से प्रदेश कांग्रेस नेताओं से शिवकुमार के पक्ष में बयान जारी करने को कहा गया था। राज्य के नेताओं की देर से आई प्रतिक्रिया का एक बड़ा कारण शिवकुमार की बढ़ती ताकत भी है। वो दिल्ली में मौजूद बड़े कांग्रेस नेताओं के साथ सीधे संपर्क में हैं। नाम न बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा, “उनका दिल्ली में अच्छा संपर्क है। जिसे लेकर राज्य के कई नेता उतने सहज नहीं हैं। हम जानते हैं कि ये छापे इसलिए भी पड़े क्योंकि पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ उनके संबंध हैं।”