नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली जल बोर्ड के टेंडर से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में आज राउज ऐवन्यू कोर्ट में चार्जशीट फाइल कर दी है। ईडी ने दिल्ली जल बोर्ड मामले में कुल 8000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है। इसमें सेवानिवृत्त मुख्य इंजीनियर जगदीश अरोड़ा, ठेकेदार अनिल अग्रवाल, चार्टर्ड अकाउंटेंट तजेंद्र सिंह समेत एनबीसीसी के पूर्व अधिकारी देवेंद्र कुमार मित्तल को आरोपी बनाया है। ईडी ने अपने दस्तावेज में एनकेजी कंपनी को भी आरोपी बनाया है।
ईडी के मुताबिक एनबीसीसी के अधिकारी देवेंद्र कुमार मित्तल ने जो सर्टिफिकेट जारी किया था उसी के आधार पर एनकेजी कंपनी को टेंडर मिला था। ईडी ने इस मामले में भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को समन जारी किया था लेकिन वो पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं हुए थे। ईडी का आरोप है कि जगदीश अरोड़ा ने ही रिश्वत का पैसा आम आदमी पार्टी से जुड़े लोगों तक पहुंचाया। इसी मामले में 31 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय ने जगदीश कुमार अरोड़ा और अनिल अग्रवाल को गिरफ्तार किया था। ईडी के मुताबिक एनबीसीसी के रिकॉर्ड में एनकेजी के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
दिल्ली जल बोर्ड ने एनकेजी को 38 करोड़ का टेंडर दिया, जिसमें 24 करोड़ रुपये पहले जारी किए गए। 38 करोड़ रुपये में से शेष 6 करोड़ 36 लाख रुपये वापस किए गए, यह प्रोसीड ऑफ क्राइम है। इसमें से 56 लाख रुपये तजेंद्र सिंह के जरिए जगदीश अरोड़ा को मिले, 36 करोड़ में से सिर्फ 14 करोड़ रुपये का इस्तेमाल हुआ। एनकेजी और इंटीग्रल ग्रुप से पैसे जगदीश अरोड़ा को गए थे.
क्योंकि उसने ही टेंडर जारी किया था, टेंडर के बदले घूस ली गई थी। ईडी ने कहा कि जगदीश अरोड़ा को कुल 3.19 करोड़ रुपये मिले था जिसमे 56 लाख एनकेजी और शेष इंटीग्रल ग्रुप से मिला था। इससे पहले फरवरी में आम आदमी पार्टी के नेताओं के 12 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। ईडी के मुताबिक जल बोर्ड घोटाले का पैसा आम आदमी पार्टी के नेताओं को दिया गया।