चुनाव आयोग ने क्यों कहा केजरीवाल के आरोपों से प्रभावित नहीं होंगे?

दिल्ली विधानसभा चुनावों के चलते चुनाव आयोग और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच विवाद बढ़ गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए थे, जिस पर चुनाव आयोग ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। मंगलवार को चुनाव आयोग ने केजरीवाल के आरोपों का जवाब दिया और कहा कि वह इन आरोपों से प्रभावित नहीं होंगे। आइए जानते हैं कि आखिर क्या था मामला और चुनाव आयोग ने क्या कहा।

केजरीवाल ने चुनाव आयोग पर क्या आरोप लगाया था?

अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग पर बीजेपी के सामने घुटने टेकने का आरोप लगाया था। केजरीवाल ने कहा, “आज जिस तरह से चुनाव आयोग ने बीजेपी के सामने सरेंडर कर दिया है, ऐसा लगता है जैसे चुनाव आयोग का कोई अस्तित्व ही नहीं है।” उनका यह बयान उस वक्त आया था जब चुनाव आयोग ने कुछ मामलों में कार्रवाई करने के बजाय चुप्पी साध रखी थी।

केजरीवाल ने यह भी सवाल उठाया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, जो इस महीने के अंत में रिटायर हो रहे हैं, को रिटायरमेंट के बाद क्या पद दिया जाएगा? उन्होंने कहा, “क्या उन्हें राज्यपाल या राष्ट्रपति का पद दिया जाएगा?” केजरीवाल ने यह भी कहा कि राजीव कुमार को अपनी ड्यूटी निभानी चाहिए और पद की लालसा छोड़नी चाहिए।

चुनाव आयोग ने केजरीवाल के आरोपों का कैसे जवाब दिया?

चुनाव आयोग ने इन आरोपों का सीधे तौर पर जवाब देते हुए कहा कि वह इन आरोपों से प्रभावित नहीं होंगे। आयोग ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा, “तीन सदस्यीय चुनाव आयोग ने सामूहिक रूप से दिल्ली चुनावों में ईसीआई को बदनाम करने के लिए जानबूझकर दबाव डालने की रणनीति पर का संज्ञान लिया है और संवैधानिक संयम बरतने का फैसला किया है।”

आयोग ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग का काम निष्पक्ष और गैर-पक्षपाती तरीके से किया जा रहा है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ हो। आयोग ने अपने बयान में कहा, “राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर प्रत्येक मामले में 1.5 लाख से अधिक अधिकारियों द्वारा कार्रवाई की जाती है, जो एक स्थापित कानूनी ढांचे, मजबूत प्रक्रियाओं और एसओपी के भीतर काम कर रहे हैं, जिससे निष्पक्ष खेल और गैर-पक्षपाती आचरण सुनिश्चित होता है।”

क्या थे केजरीवाल के आरोपों के मुख्य बिंदु?

  1. चुनाव आयोग पर बीजेपी के दबाव में काम करने का आरोप
    केजरीवाल ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग बीजेपी के सामने घुटने टेक चुका है और इसने निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित किया है। उनके अनुसार, चुनाव आयोग का कोई अस्तित्व नहीं बचा है और यह बीजेपी के दबाव में काम कर रहा है।
  2. राजीव कुमार पर पद के लालच का आरोप
    केजरीवाल ने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार पर यह आरोप लगाया कि वह रिटायरमेंट के बाद पद की लालसा में चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि राजीव कुमार को पद के लालच से बचना चाहिए और देश के लोकतंत्र को नष्ट नहीं करना चाहिए।
  3. चुनाव आयोग पर निष्क्रियता का आरोप
    केजरीवाल ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग ने बीजेपी के नेताओं के द्वारा कैश बांटने की घटना पर कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग इस मामले में पूरी तरह से निष्क्रिय है और उसकी कार्रवाई में पक्षपाती नजर आती है।
  4. यमुना में पानी की गुणवत्ता को लेकर आरोप
    इस विवाद से जुड़े एक और मामले में, केजरीवाल ने हरियाणा की बीजेपी सरकार पर दिल्ली को यमुना नदी के पानी में जहर घोलने का आरोप लगाया था। चुनाव आयोग ने इस पर भी स्पष्टीकरण मांगा था। केजरीवाल ने इस टिप्पणी को सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के संदर्भ में बताया था।

चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर जोर

चुनाव आयोग ने एक बार फिर अपने कार्यों की पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के बारे में बताया। आयोग ने कहा कि 1.5 लाख से अधिक अधिकारियों द्वारा चुनाव प्रक्रिया में भाग लिया जाता है, और यह सभी अधिकारी एक कानूनी ढांचे और स्थापित प्रक्रियाओं के तहत काम करते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो रहे हैं।

आयोग का यह भी कहना था कि किसी भी प्रकार का दबाव या पक्षपाती व्यवहार उसके द्वारा नहीं किया जाता। यह एक मजबूत और सशक्त संस्था है, जो लोकतंत्र की मजबूती के लिए काम करती है।

चुनाव आयोग के बयान का असर क्या होगा?

चुनाव आयोग का यह बयान खास तौर पर केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के आरोपों के संदर्भ में आया है, लेकिन इससे आयोग की छवि पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। यह स्पष्ट रूप से बताया गया कि आयोग की कार्यप्रणाली पूरी तरह से निष्पक्ष है और किसी भी आरोप या दबाव से वह प्रभावित नहीं होगा।

अब, दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में केवल एक दिन बाकी है और परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। चुनावी माहौल में इस तरह के विवादों के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली की जनता किसे अपना जनप्रतिनिधि चुनती है।

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