नई दिल्ली। झारखंड में विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा के चार दिन बाद, चुनाव आयोग ने प्रदेश के कार्यवाहक डीजीपी अनुराग गुप्ता को तुरंत प्रभाव से हटाने का आदेश दिया है। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब राज्य में चुनावी गतिविधियां तेज हो रही हैं। चुनाव आयोग ने आदेश दिया है कि कार्यवाहक डीजीपी को वरिष्ठतम अधिकारी को डीजीपी का प्रभार सौंपना चाहिए। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार को इस आदेश का पालन करने का निर्देश देते हुए शाम सात बजे तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
पिछले चुनावों में मिली थी शिकायतें
जानकारी के अनुसार, अनुराग गुप्ता के खिलाफ पिछले चुनावों के दौरान चुनाव आयोग द्वारा की गई कई शिकायतें और कार्रवाईयों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। 2019 में लोकसभा चुनावों के दौरान, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने अनुराग गुप्ता पर पक्षपातपूर्ण आचरण का आरोप लगाया था। उस समय, उन्हें एडीजी (विशेष शाखा), झारखंड के पद से हटा दिया गया था और दिल्ली में रेजिडेंट कमिश्नर कार्यालय में फिर से नियुक्त किया गया था, जिससे उन्हें चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक झारखंड लौटने से रोका गया था।
अनुराग गुप्ता पर गंभीर आरोप
इसके अलावा, 2016 में झारखंड से राज्य सभा के द्विवार्षिक चुनावों के दौरान, तत्कालीन अतिरिक्त डीजीपी अनुराग गुप्ता पर अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने के गंभीर आरोप लगाए गए थे। इस मामले की जांच के लिए चुनाव आयोग ने एक विशेष जांच समिति का गठन किया था। जांच के परिणामस्वरूप, अनुराग गुप्ता के खिलाफ विभागीय जांच का आदेश दिया गया था। मार्च 2018 में जगन्नाथपुर थाना में आईपीसी की धारा 171(बी)(ई) और 171(सी)(एफ) के तहत मामला भी दर्ज किया गया था।
भ्रष्टाचार के मामले में भी जांच
इसके बाद, 2021 में झारखंड सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17 (ए) के तहत इस मामले में जांच की अनुमति दी थी। इन घटनाओं के चलते चुनाव आयोग ने यह फैसला लिया कि झारखंड के कार्यवाहक डीजीपी की भूमिका चुनावी प्रक्रिया में बाधा डाल सकती है।
चुनाव आयोग के इस निर्णय ने स्पष्ट कर दिया है कि वे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाने के लिए तैयार हैं। इस आदेश के बाद अब यह देखना होगा कि झारखंड सरकार इस आदेश का पालन कैसे करती है और नए डीजीपी का प्रभार किसे सौंपा जाता है।