सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा झारखंड के एक आईएएस अधिकारी के खिलाफ की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करने का फैसला लिया है। यह याचिका आईएएस अधिकारी मंजूनाथ भजनतरी ने दायर की है, जो राज्य के जिला चुनाव अधिकारी (DEO) के तौर पर तैनात थे। याचिका में सवाल उठाया गया है कि क्या ईसीआई द्वारा राज्य सरकार को जिला चुनाव अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश को उच्च न्यायालय या केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में चुनौती दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मामले पर चुनाव आयोग सहित अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की बेंच ने इस याचिका पर नोटिस जारी करते हुए चुनाव आयोग से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
क्या था मामला?
मंजूनाथ भजनतरी को मार्च 2021 में झारखंड के मधुपुर निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव की निगरानी के लिए देवगढ़ में जिला चुनाव अधिकारी के रूप में तैनात किया गया था। इस दौरान कुछ मामले सामने आए, जिसके बाद एक सांसद डॉ. निशिकांत दुबे के हस्तक्षेप से संबंधित प्राथमिकी दर्ज कराई गई। इसके बाद, 26 अक्टूबर 2021 को, भजनतरी ने चुनाव आयोग से संपर्क किया और आयोग ने 3 नवंबर 2021 को राज्य सरकार को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने स्पष्टीकरण मांगा।
इसके बाद, 6 दिसंबर 2021 को चुनाव आयोग ने जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा 20 ए के तहत जिला चुनाव अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया। इस आदेश को चुनौती देते हुए भजनतरी ने झारखंड हाईकोर्ट में अपील की थी।
झारखंड हाईकोर्ट का आदेश और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
झारखंड हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने इस मामले की सुनवाई करते हुए इसे खारिज कर दिया और कहा कि कैट के पास इस मामले की जांच करने का अधिकार है। हालांकि, 23 सितंबर 2024 को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि मामले की जांच पहले केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) को करनी चाहिए।
मंजूनाथ भजनतरी के वकील पीएस पटवालिया ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, यह कहते हुए कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में इस तरह के मामलों के बारे में परस्पर विरोधी फैसले दिए गए हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग और अन्य उत्तरदाताओं को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
इस मामले में आगे की सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि ईसीआई द्वारा की गई कार्रवाई पर कानूनी चुनौती दी जा सकती है या नहीं। साथ ही, यह भी तय किया जाएगा कि क्या केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) को मामले की जांच का अधिकार है।