हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों के दिनांक घोषणा कर दी गई है. इलेक्शन कमीशन के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में एक ही चरण 12 नवंबर को वोटिंग होगी और फिर 8 दिसबंर को काउंटिंग होगी. अगर प्रदेश की सियासत के समीकरणों को समझें तो बीते 32 वर्षों में कुर्सी का फेरबदल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में होता रहा है. आइए साल दर साल के आंकड़ों से समझते हैं कि किस वर्ष में सत्ता की कुर्सी किसके पास रही .
We have zero tolerance towards the distribution of any kind of inducement to voters. GST will look at e-way & goods going to poll-bound state & neighbouring states. Airports will keep a strict watch so that no unscheduled flight goes unchecked: CEC Rajiv Kumar pic.twitter.com/jhR3FyuG3t
— ANI (@ANI) October 14, 2022
वर्ष 1962 में पहली विधानसभा से ही हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस की पकड़ रही है. 1962 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हिमाचल में विजय मिली और यशवंत सिंह परमार प्रदेश के मुख्यमंत्री निर्वाचित हुए थे. इसके पश्चात 1967 से 1972 और 1972 से 1977 तक यशवंत सिंह परमार ही हिमाचल प्रदेश के सीएम बनते रहे. 1997 के इलेक्शन में पहली बार हिमाचल प्रदेश को गैर कांग्रेसी सरकार प्राप्त हुई और जनता पार्टी सत्ता में आई. 1977 से 1982 तक जनता पार्टी की सरकार में शांता कुमार प्रदेश के सीएम बने .
1982 के असेंबली इलेक्शन में एक बार फिर कांग्रेस को विजय हाथ लगी और इस बार ठाकुर राम लाल राज्य के सीएम निर्वाचित हुए. लेकिन बीच में ही उन्हें हटाकर वीरभद्र सिंह को सीएम पद की जिम्मेदारी थामा दी गई. 1985 के इलेक्शन में एक बार फिर कांग्रेस जीती और वीरभद्र सिंह हिमाचल के सीएम बने, वह 1990 तक सत्ता की कुर्सी पर बैठे रहे
1990 के इलेक्शन में भाजपा को बहुमत प्राप्त हुआ और प्रदेश में पहली बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी. शांता कुमार असम के सीएम बने. इसके पश्चात से अभी तक राज्य में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस बारी-बारी से शासन करती रही हैं.
इस बार यह देखना होगा की जनता का मूड किस पार्टी की तरफ और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठता है