क्या ED, CBI और IT की डर से कंपनियों ने खरीदे चुनावी बॉन्ड?

फ्यूचर गेमिंग, वेदांता लिमिटेड और मेघा इंजीनियरिंग की तरह कई ऐसी कंपनियां हैं, जिन्होंने चुनावी बॉन्ड की खरीदारी उस वक्त की जब वे केंद्रीय जांच एजेंसियों के घेरे में थीं. कई कंपनियां तो ऐसी हैं, जिन्होंने जांच के दौरान या इससे पहले या बाद में इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीदारी की. इनमें RPSG की हल्दिया एनर्जी, DLF, हेटचरो ड्रग्स, वेलस्पन समूह, डिविज लैबोरेट्रीज और बायोकॉन जैसी कंपनियां शामिल हैं.

चुनावी बॉन्ड के चौथे सबसे बड़े खरीदार हल्दिया एनर्जी पर 2020 में कथित भ्रष्टाचार के मामले में CBI ने मामला दर्ज किया था. इस कंपनी ने 2019 और 2024 के बीच 377 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड की खरीदारी की.

DLF भी चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों में टॉप 15 में शामिल है, जिसने 130 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं. CBI ने 1 नवंबर, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर DLF न्यू गुड़गांव होम्स डेवलपर्स के खिलाफ मामला दर्ज किया. 25 जनवरी, 2019 को, CBI ने कंपनी को जमीन आवंटन में कथित अनियमितताओं के मामले में कंपनी के गुरुग्राम और कई अन्य स्थानों पर कार्यालयों पर छापा मारा.

DLF ने 9 अक्टूबर, 2019 से चुनावी बॉन्ड खरीदना शुरू किया और कुल मिलाकर 130 करोड़ रुपये मूल्य के बॉन्ड खरीदे. 25 नवंबर, 2023 को ED ने रियल एस्टेट फर्म सुपरटेक और उसके प्रमोटरों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत उसके गुरुग्राम कार्यालयों की तलाशी ली.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, संपर्क करने पर DLF के एक प्रवक्ता ने कहा कि 2019 से 2024 के बीच हमारे अकाउंट्स में इसका पूरी तरह से खुलासा किया गया है. इससे अधिक जानकारी हम नहीं दे सकते.

फार्मा से जुड़ी हेटेरो ड्रग्स भी बड़े चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों में शामिल है. हेटेरो ड्रग्स ने अपनी सहयोगी कंपनियों हेटेरो लैब्स और हेटेरो बायोफार्मा के साथ मिलकर 60 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. कंपनी 2021 से आयकर जांच के दायरे में है.

अक्टूबर 2021 में, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कंपनी के परिसरों पर छापेमारी की और 140 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी बरामद की. IT ने 550 करोड़ रुपये की बेहिसाब आय का पता लगाने का भी दावा किया. तलाशी के दौरान कई बैंक लॉकर मिले. इसके महीनों बाद, यानी अप्रैल 2022 में, हेटेरो ड्रग्स ने चुनावी बॉन्ड की पहली किश्त खरीदी.

वेलस्पन ग्रुप ने विभिन्न सहयोगी संस्थाओं के माध्यम से 55 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. 2019 और 2024 के बीच इसकी खरीदारी की पहली किश्त अप्रैल 2019 में की गई थी. ये खरीदारी आयकर विभाग की ओर से जुलाई, 2018 में वेलस्पन एंटरप्राइजेज के परिसरों पर छापे के ठीक एक साल बाद हुई थी.

इससे पहले, कंपनी को विदेशी मुद्रा उल्लंघन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से जांच का सामना करना पड़ा था और एजेंसी ने 2013 में उस पर 55 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था.

इनके अलावा, 14 से 18 फरवरी, 2019 के बीच आयकर विभाग ने डिविज लैबोरेटरीज से जुड़े परिसरों पर छापेमारी की. कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी एपीआई निर्माताओं में से एक है. कंपनी ने 2023 में 55 करोड़ रुपये का चुनावी बॉन्ड खरीदा था.

बायोकॉन की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ ने भी 6 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं. ये कंपनी 2022 में भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई की जांच के घेरे में आ गई. जून 2022 में, बायोकॉन बायोलॉजिक्स के एसोसिएट उपाध्यक्ष एल प्रवीण कुमार को रिश्वतखोरी के एक मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था.

एक प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म, पटेल इंजीनियरिंग ने 6 करोड़ रुपये के चुनावी बांड खरीदे. अप्रैल 2022 में, CBI ने जम्मू -कश्मीर में एक जल विद्युत परियोजना में अनियमितताओं के लिए पटेल इंजीनियरिंग पर मामला दर्ज किया. यह मामला तत्कालीन राज्य के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की ओर से एक प्रेस बयान में लगाए गए आरोपों के बाद दर्ज किया गया था. उसी साल दिसंबर से पटेल इंजीनियरिंग ने चुनावी बॉन्ड खरीदना शुरू किया था.

जुलाई 2020 में, भोपाल स्थित सोम डिस्टिलरीज के प्रमोटरों को GST अधिकारियों ने 8 करोड़ रुपये की कथित कर चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था. अक्टूबर 2023 में, कंपनी और उसकी सहयोगी कंपनी सोम डिस्टिलरीज ब्रुअरीज लिमिटेड ने 2 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे. हालांकि, नवंबर 2023 में, मध्य प्रदेश चुनाव से ठीक पहले, कंपनी पर आयकर विभाग ने छापा मारा था.

हैदराबाद स्थित नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी (एनसीसी) लिमिटेड ने 2019 और 2022 में 60 करोड़ रुपये के चुनावी बांड खरीदे. 15 नवंबर, 2022 को आयकर विभाग ने संदिग्ध कर चोरी के लिए एनसीसी पर तलाशी ली. इसी तरह, यूनाइटेड फॉस्फोरस इंडिया लिमिटेड ने 2019 में 50 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे थे, पर 22 जनवरी 2020 को कंपनी पर आयकर विभाग ने छापा मारा था.

 

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