निया के सबसे रईस शख्स और टेस्ला-स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपने सियासी रिश्ते को अलविदा कह दिया। मस्क, जो ट्रंप के खास सलाहकार बनकर सरकारी खर्चों में कटौती और सिस्टम को चमकाने का जिम्मा संभाल रहे थे, अचानक इस्तीफा देकर वॉशिंगटन में भूचाल ला चुके हैं। वजह? ट्रंप का वो ‘बिग ब्यूटीफुल बिल’, जिसे मस्क ने खुलेआम फिजूलखर्ची का ठप्पा लगा दिया। तो क्या ये सिर्फ नीतियों पर मतभेद था, या मस्क और ट्रंप के बीच कुछ गहरी खटपट हो गई? चलिए इसकी पीछे की असल वजह जानते हैं।
DOGE मिशन था क्या?
मस्क को ट्रंप ने एक खास रोल दिया था – अमेरिकी सरकार के फालतू खर्चों को कैंची मारकर सिस्टम को टेक के जरिए चमकाना। इस मिशन का नाम था DOGE, यानी डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी। मकसद था सरकारी सिस्टम को चुस्त-दुरुस्त करना, नौकरशाही को पतला करना और टेक्नोलॉजी से कामकाज को रफ्तार देना। मस्क ने कई सरकारी दफ्तरों में डिजिटल बदलाव की शुरुआत भी की थी। लेकिन ट्रंप का नया बिल, जिसमें टैक्स कटौती और डिफेंस बजट में भारी-भरकम खर्च की बात थी, मस्क को रास नहीं आया।
ट्रंप का ‘बिग ब्यूटीफुल बिल’ क्यों बन गया मस्क की आंखों का कांटा?
ट्रंप का ये बिल, जिसे वो ‘बिग ब्यूटीफुल’ कहते नहीं थक रहे थे, अमेरिका को टैक्स छूट और मिलिट्री खर्च में उछाल देने का वादा करता था। लेकिन मस्क को ये बिल बिल्कुल भी ‘ब्यूटीफुल’ नहीं लगा। सीबीएस को दिए इंटरव्यू में मस्क ने इसे खुलकर कोसा। बोले, “ये बिल अमेरिका का कर्जा बढ़ाएगा और DOGE मिशन की मेहनत पर पानी फेर देगा।” मस्क का मानना था कि सरकार को फिजूलखर्ची की बजाय टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पर ध्यान देना चाहिए। बस, यही बात ट्रंप और मस्क के बीच की सियासी दीवार बन गई।
मस्क का इस्तीफा ट्रंप के लिए कितना बड़ा धक्का?
मस्क का ट्रंप प्रशासन से अलग होना कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। मस्क सिर्फ एक बिजनेसमैन नहीं, बल्कि एक ऐसे लीडर हैं, जिन्हें दुनिया भविष्य का विजनरी मानती है। उनका जाना ट्रंप के लिए सियासी और छवि दोनों मोर्चों पर झटका है, खासकर जब 2024 के चुनाव बस सर पर हैं। अब सवाल ये है कि क्या मस्क अब डेमोक्रेट्स की तरफ झुकेंगे? या फिर सियासत को तौबा करके अपनी टेक कंपनियों पर फोकस करेंगे? मस्क ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, “DOGE मिशन तो चलता रहेगा, भले ही मेरी सरकारी भूमिका खत्म हो गई हो।” यानी वो टेक के जरिए सिस्टम बदलने की जिद छोड़ने वाले नहीं हैं, बस अब ट्रंप के साथ नहीं।
क्या मस्क-ट्रंप की इस जंग से बदलेगी टेक और सियासत की दिशा?
मस्क का इस्तीफा दो बड़े सवाल खड़े करता है। पहला, क्या अमेरिकी सरकार वाकई टेक्नोलॉजी और इनोवेशन को गंभीरता से लेगी? और दूसरा, क्या ट्रंप जैसे पुराने स्कूल के नेता मस्क जैसे फ्यूचरिस्टिक सोच वालों के साथ लंबे समय तक तालमेल बिठा पाएंगे? मस्क के जाने के बाद ट्रंप का ‘बिग ब्यूटीफुल बिल’ शायद पास हो जाए, लेकिन उनकी ‘टेक-फ्रेंडली’ इमेज को जरूर चोट पहुंची है। अब ये देखना बाकी है कि मस्क किसी और सियासी खेमे में जाएंगे या अपनी कंपनियों टेस्ला और स्पेसएक्स पर फोकस करेंगे।