पीएम-किसान की आठवीं किस्त जारी, साढ़े 9 करोड़ किसानों को मिलेगा फायदा

कोरोना की दूसरी लहर के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने फेंका तुरूप का इक्का

नई दिल्ली।  मोदी सरकार ने 2018 में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की थी, जिसमें किसानों को हर साल ₹6000 उनके खाते में भेजे जाते हैं. इस योजना के तहत अब तक देश भर के किसानों को सात किस्तें जारी की जा चुकी है और आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के तकरीबन साढ़े 9 करोड़ किसानों के खाते में 19 हज़ार 500 करोड़ से ज्यादा की धनराशि ट्रांसफर की. इसमे सबसे ज्यादा लाभान्वित होने वाले किसान उत्तर प्रदेश से आते हैं, जिनकी संख्या दो करोड़ 61 लाख हैं और आज इनके खाते में आज 5230 करोड़ रुपये ट्रांसफर किये गए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है. किसानों को खेती किसानी में मदद मिल सके, इसके लिए साल 2018 में केंद्र सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि जैसी एक महत्वकांक्षी योजना शुरू की थी जिसमें हर तिमाही किसानों के खाते में ₹2000 भेजे जाते हैं. इसके तहत अब तक पूरे देश में किसानों को 7 क़िस्त दी जा चुकी है. इसमे भी सबसे ज्यादा संख्या उत्तर प्रदेश के किसानों की है. पहले साल 2018 में यूपी के किसानों के खाते में 2195 करोड़ रुपये ट्रांसफर किये गए. फिर साल 2019-20 में 10883 करोड़ रुपये ट्रांसफर किये गए और फिर साल 2020-21 में 14185 करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश के किसानों के खाते में भेजे गए. अब तक कुल 27,263 करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश के 2 करोड़ 32 लाख किसानों के खातों में भेजे जा चुके है.

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्तीय वर्ष 2021- 22 की पहली क़िस्त देश के साढ़े 9 करोड़ किसानों के खाते में तकरीबन 19 हज़ार करोड़ से ज्यादा की धनराशि ट्रांसफर की और इसमे यूपी के 2 करोड़ 61 लाख से अधिक किसानों के खाते में आज 5230 करोड़ की धनराशि शामिल है. आज पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, 100 साल बाद इतनी बड़ी महामारी आई है और इतनी बड़ी विपदा आई है. सबको मिलकर इससे लड़ना है. साथ ही पीएम मोदी ने उन्नाव के एक किसान से संवाद भी किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी वर्चुअल माध्यम से जुड़े थे.

इस योजना को केंद्र सरकार ने 2018 की आखिरी तिमाही में शुरू किया था और उसके बाद 2019 में लोकसभा के चुनाव हुए थे, इसलिए इस पीएम किसान सम्मान निधि योजना को उस वक्त एक गेम चेंजर के रूप में भी देखा गया था. खासतौर से इस योजना के जरिए सरकार की कोशिश देश की सबसे बड़ी आबादी में शुमार किसानों तक पहुंचने की रही है. खासतौर से जब जब सरकार संकट में होती है, फिर चाहे वो किसान आंदोलन का वक्त रहा हो या फिर कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर हो, ऐसे में एक बार फिर इस संकट की घड़ी में केंद्र सरकार को किसानों की याद आयी है.

 

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