आजकल ज्यादातर गाड़ियां डीजल या पेट्रोल से चलती हैं, लेकिन जल्द ही आलू से बनी इथेनॉल से भी गाड़ियां चलने लगेंगी। सेंट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपीआरआई) ने आलू से इथेनॉल बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। यह प्रस्ताव आलू के वेस्ट और छिलकों से इथेनॉल बनाने के लिए एक प्रायोगिक प्लांट लगाने का है।
ग्रीन विकल्प के रूप में इथेनॉल
इथेनॉल को जीवाश्म ईंधनों का एक ग्रीन विकल्प माना जा रहा है। कई देशों में बायोफ्यूल के रूप में इथेनॉल का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है। भारत में भी पहले से पेट्रोल में इथेनॉल का ब्लेंडिंग किया जा रहा है, और अब डीजल में भी इथेनॉल मिलाने की योजना है।
भारत का आलू उत्पादन
भारत आलू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और यहां इथेनॉल बनाने के लिए मुख्य रूप से गन्ने और मक्के का उपयोग किया जाता है। नेशनल पॉलिसी ऑन बायोफ्यूल्स में सड़े आलू का इस्तेमाल इथेनॉल बनाने के लिए किया जाने का जिक्र है। भारत में आलू की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, जो इस योजना के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
वेस्ट से संभावनाएं
सीपीआरआई के वैज्ञानिकों के अनुसार, आलू के कुल उत्पादन का 10-15 फीसदी हिस्सा खराब हो जाता है। इस वेस्ट का इस्तेमाल इथेनॉल के उत्पादन में किया जा सकता है। भारत में आलू के लिए एक विशाल कोल्ड स्टोरेज नेटवर्क है, जिससे आलू का वेस्ट इथेनॉल के उत्पादन के लिए मिल सकता है।