केजरीवाल पर कोर्ट में बोली ED, कहा- ‘घर में बॉडी नहीं मिलने से मर्डर छिप नहीं जाता’

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. केजरीवाल की ओर से दायर इस याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है. दोनों पक्ष की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने अपने फैसला सुरक्षित रख लिया है. बता दें, जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही थी.

हाईकोर्ट में सीएम अरविंद केजरीवाल की तरफ से उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी अपना पक्ष रख रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ ईडी की ओर से पेश हुए ASG राजू केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका का विरोध कर रहे थे. इस दौरान दोनों की दलील के बीच कुछ तीखी बातचीत भी देखने को मिली. आइए सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं हाईकोर्ट में किसने क्या कहा?

  • ईडी की ओर से पेश ASG राजू ने कहा कि जब तक आप बाद के आदेशों को चुनौती नहीं देंगे, इसे अवैध नहीं कहा जा सकता. इसको लेकर उन्होंने 2-3 अहम प्वाइंट्स भी बताए और कहा कि आज एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है और उसे पांच दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. गिरफ्तारी और रिमांड आदेश को चुनौती देते हुए रिट दायर की गई है फिर उसे बाद के रिमांड आदेशों के अनुसार हिरासत में रखा जाता है. तो आज आपकी हिरासत अगले आदेशों के अनुसार है.
  • ईडी के वकील राजू ने केजरीवाल की याचिका को PMLA की धारा 45 की कठोरता से बचने के लिए जमानत याचिका का दूसरा रूप बताया और कहा कि अपराध हुआ है यह फैक्ट है और जो भी व्यक्ति संदेह के दायरे में है उससे पूछताछ होना लाजमी है.
  • कोर्ट की ओर से पीसी पर संज्ञान के आदेश का हवाला देते हुए राजू ने कहा कि साफ है कि मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है और किसी ने भी आदेश को चुनौती नहीं दी है. आखिरी आदेश 19 दिसंबर 2023 का है जिसमें कोर्ट ने 2 शिकायतों पर संज्ञान लिया है और दोनों फैसलों पर समझ आता है कि मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध बनता है.
  • ऐसे मामलों में ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी संख्या में आरोपियों को जमानत देने से इनकार किया है. ऐसे में मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी पर सवाल खड़ा करना कहां से सही है, कृप्या इस धारा 45 से जोड़कर देखें.
  • ईडी के वकील ने इस दौरान आप सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जिन लोगों ने रिश्वत नहीं दी, उनसे लाइसेंस सरेंडर कराए गए, कार्टेलाइजेशन की शिकायत के बावजूद इंडो स्पिरिट को थोक लाइसेंस दिया गया, शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया गया. 5 प्रतिशत के लाभ को 12 प्रतिशत क्यों कर दिया गया. इन सवालों के जवाब जरूरी हैं.
  • यह अनुमान है लेकिन इस बढ़ाने का सिर्फ एक कारण समझ आता है कि करीब 7 प्रतिशत हिस्से का उपयोग रिश्वत देने के लिए किया जा सके. घोटाला हुआ है यह फैक्ट है और इसमें कोई शक नहीं. शोर मचाने से सच नहीं बदल जाता.
  • अगर घोटाला नहीं हुआ था तो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस को क्यों डिस्ट्रॉय किया गया. कई बार कोर्ट में ऐसे मामले आते हैं जब मर्डर के केस में बॉडी नहीं मिल पाती है लेकिन जब दोष साबित हो जाता है. इसका मतलब ये तो नहीं कि मर्डर नहीं हुआ है. हम मामला बनाते हैं कि आप मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल थे, तो अपराध की वास्तविक आय का पता लगाना बेकार है. आप कह रहे हैं कि मेरे घर से तो कुछ नहीं मिला लेकिन जब आपने वो पैसा कहीं और भेज दिया तो वो कैसे आपके घर में मिलेगा.
  • इनका तर्क है कि लोकसभा चुनाव के चलते ईडी एक्टिव हो गई है पर एजेंसी तो कई सालों से एक्टिव है. बड़ी संख्या में डिजिटल डिवाइस खत्म किए गए हैं, बिचौलियों के जरिए काम कराया गया है ताकि नाम न आए, विजय नायर अंदर आते हैं और रवैया यह है कि मैंने कुछ नहीं किया. आपने इसे बहुत ही चतुराई से किया है लेकिन हमने मुश्किलों के बावजूद इसका पता लगा लिया है.
  • ईडी के वकील ने हाईकोर्ट में कहा कि मान लीजिए एक आतंकवादी का मामला है जो राजनेता है, उसने सेना के वाहन को उड़ा दिया है लेकिन वह कहते हैं कि मुझे चुनाव में खड़ा होना है, आप मुझे छू नहीं सकते. यह कैसा तर्क है?
  • यह पहली नजर में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है. कई अभियुक्तों को जमानत से इनकार करने के उद्देश्य से मनी लॉन्ड्रिंग का दोषी पाया गया. आज हमें धारा 45 PMLA को पार नहीं करना है क्योंकि यह जमानत याचिका नहीं है. इसमें कोई विवाद नहीं है कि उसे 24 घंटे के भीतर अदालत में पेश किया गया था. इस बात पर भी विवाद नहीं है कि उन्हें गिरफ्तारी का आधार दिया गया था.

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