किसान नेता टिकैत ने किसानों से की बीजेपी को वोट न देने की अपील !
नई दिल्ली। यूं तो देश के हर प्रदेश में कभी न कभी चुनाव होते ही रहते हैं। होने भी चाहिए, लोकतांत्रिक देश है, तो सरकार की अदला बदली भी आवश्यक है, परन्तु जब चुनाव देश के सबसे बड़े प्रदेश की फेहरिस्त में शुमार UP में होते हैं, तो पूरे देश के सियासी सूरमा सक्रिय हो जाते हैं। भला आए भी क्यों न, क्योंकि सबसे ज्यादा विधानसभा सीटों से लेकर सबसे अधिक लोकसभा सीटें अगर किसी प्रदेश के हिस्से में जाती हैं, तो वो यूपी है। ऐसे में हर राजनीतिक पार्टी की यह राज्य प्राथमिकताओं में रहता है। इसी अहमियत को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी आजकल यूपी में ज्यादा सक्रिय हो चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर मुख्यमंत्री योगी यूपी में अपनी सियासी जमीन को फलदायी बनाने के प्रयास में लगे हुए हैं। वहीं अपने वजूद को महफूज रखने की कोशिश में मसरूफ कांग्रेस भी यूपी में अपनी खोई हुई सियासी जमीन को फलदायी बनाने की कोशिश में है। लखीमपुर खीरी हिंसा और आगरा प्रकरण को लेकर जिस प्रकार की सियासी सक्रियता प्रियंका गांधी वाड्रा ने दिखाई है, उसे देखते हुए कांग्रेस पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में बड़ी उम्मीद दिखाई पड़ रही है।
वहीं, यूपी विधानसभा चुनाव में कई ऐसे कारक हैं, जो आने वाले चुनाव की दिशा व दशा तय करने में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। इन्हीं में एक है किसान आंदोलन। खासकर लखीमपुर हिंसा ने यूपी में चुनाव की परिस्थिति ही बदलकर रख दी है। इस मसले को लेकर जिस प्रकार विपक्षी दलों सहित राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है, उससे केंद्र के लिए आगे की चुनाव राह कैसी रहती है। यह तो फिलहाल आने वाला समय ही बताएगा, परन्तु इस बीच राकेश टिकैत ने जो बयान दिया है, उसे लेकर वे अब निशाने पर आ चुके हैं। उन्होंने खुलेआम किसानों से अपील की है कि वे आने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को वोट न दें। उन्होंने कहा कि जब तक केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है, तब तक हमारा यह आंदोलन जारी रहेगा। हमारा विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि हालांकि, हम इस चुनाव में अपनी ओर से कोई भी प्रत्याशी नहीं उतारेंगे, परन्तु हम अपने किसान भाइयों से यह जरूर आग्रह करेंगे कि वे आने वाले चुनाव में BJP को वोट न दें।
अब वे अपने इस बयान को लेकर निशाने पर आ चुके हैं। जिस तरह किसान नेता टिकैत यह कहते आ रहे थे कि यह आंदोलन गैर राजनीतिक है, परन्तु अब जिस प्रकार वे किसानों को BJP को वोट न करने का आग्रह कर रहे हैं, यह कहां तक सही है। इसे लेकर अब उन पर सवाल दागे जा रहे हैं कि भला वे कौन होते हैं किसी को यह कहने वाले किस राजनीतिक पार्टी को वोट देना है और किसे नहीं। संविधान का हवाला देकर कहा जा रहा है कि वोट देना किसी भी व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार होता है, तो ऐसे में भला राकेश टिकैत कौन होते हैं किसी को यह कहने वाले कि किसको वोट देना और किसी नहीं। तो टिकैत अब तक अपने जिस आंदोलन को गैर-राजनीतिक बताते आ रहे थे, उनके इस बयान से यह तो स्पष्ट प्रतीत होता है कि वे यह आंदोलन प्रारम्भ से ही राजनीतिक रहा है? सरकार चाहे कोई भी हो, परन्तु विरोध स्वाभाविक है, मगर विरोध की आड़ में वोटों का ध्रुवीकरण कहां तक उचित है। यह एक विचारनीय सवाल है।