दिल्ली: केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि सरकार के लिए किसानों का हित सबसे पहले है. अपने ब्लॉग में कृषि मंत्री ने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के निर्देशन में गत वर्षों में कृषि और किसानों की बेहतरी के लिए जो लगातार प्रयास किए गए उनके उत्साहजनक और सकारात्मक नतीजे दिखने लगे हैं. ब्लॉग में लिखा है कि “मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए जिस मनोयोग से काम में जुटी है, इससे किसानों के जीवन में गुणात्मक सुधार आ रहा है.
मोदी सरकार ने देश के विकास के लिए देश के सामने नई कार्यविधि, पारदर्शी कार्य शैली के नए प्रतिमान रचे हैं. सरकार ने समयबद्ध तरीके से प्रधानमंत्री जी के कुशल मार्गदर्शन में किसान कल्याण की योजनाओं के पूर्ण क्रियान्वयन के लक्ष्यों को मिशन मोड में परिवर्तित किया है. सुशासन के नये आयामों, नवाचारों एवं सुधारवादी दृष्टिकोण से एक आधुनिक और भविष्योन्मुख भारत की नींव हमारी सरकार ने रखी है. मोदी सरकार किसानों के मन में देश की कृषि उन्नति के लिए की गई नई पहलों के प्रति जागरूकता लाने में सफल हुई है. आज तक के कार्यकाल में किसानों और ग्रामीणों के जीवन स्तर में गुणात्मक परिवर्तन लाने का सतत् और सशक्त प्रयास किया है.”
स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों पर अमल किया
कृषि मंत्री ने साल 2006 में दी गई राष्ट्रीय किसान कमीशन के अध्यक्ष डॉ.स्वामीनाथन की रिपोर्ट का भी जिक्र किया. रिपोर्ट में यह अनुशंसा की गई थी कि कृषि आधारित सोच के साथ-साथ किसानों के कल्याण पर भी उचित ध्यान दिया जाए. डॉ.स्वामीनाथन ने व्यवस्था में आमूल परिवर्तन हेतु कृषि में फसल उपरांत प्रसंस्करण, बाजार और इससे जुड़ी व्यवस्था पर समुचित ध्यान देने का सुझाव दिया था. कृषि कमीशन ने नैसर्गिक संपदाओं में लगातार क्षरण और जलवायु परिवर्तन को देखते हुए विज्ञान आधारित प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन, सतत् उत्पादन और विकास की तरफ भी ध्यान देने की बात कही थी.
कृषि मंत्री ने कहा कि 6 अगस्त, 2018 को टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित डॉ.स्वामीनाथन के लेख में मोदी सरकार की कृषि नीति की तारीफ की गई है. इस लेख में डॉ.स्वामीनाथ ने कहा है कि, “राष्ट्रीय किसान आयोग रिपोर्ट वर्ष 2006 में पेश की गई थी लेकिन जब तक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार नहीं बनी थी तब तक इस पर बहुत काम नहीं हुआ था. सौभाग्यवश पिछले 4 वर्षों के दौरान किसानों की दशा और आय में सुधार करने के लिए कई अहम फैसले लिए गए हैं.”
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने दावा किया कि पिछले 4 वर्षों में देश में कृषि क्षेत्र में सतत् विकास करने, किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने और कृषि उत्पादन लागत में कमी करने के लिए काफी प्रयास किए गए हैं. इन प्रयासों से हमारे जीवन में महत्वपूर्ण सुखदायी परिवर्तन हो रहे हैं. देशव्यापी स्वायल हेल्थ कार्ड स्थापित करना इसी सोच का एक अहम हिस्सा है.
किसानों के हित में उठाए कई कदम
कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने किसान हित में एक के बाद एक कई फैसले लिए. उन्होंने लिखा है कि, “नाइट्रोजन उपयोग क्षमता बढ़ाने के लिए और उपयोग की मात्रा तथा इससे जुड़ी लागत घटाने के लिए सरकार ने कृषि में केवल नीम कोटिड यूरिया के उपयोग को अनिवार्य बनाया है. चूंकि इससे उत्पादकता में सुधार हुआ है और खेती की लागत घटी है, इससे इसके गलत उपयोग और गैर-कृषि क्षेत्र में इसके उपयोग को रोकने में भी मदद मिली है. सतत् कृषि विकास और मृदा स्वास्थ्य के लिए ऑर्गेनिक खेती को परंपरागत विकास योजना के साथ जोड़ दिया गया है, जिसमें पुआल का इन-सीटू प्रबंधन भी शामिल है.”
किसानों को जोखिमों से सुरक्षा दी
कृषि मंत्री ने उन कदमों को भी गिनाया जिनसे किसानों को जोखिमों से सुरक्षा प्रदान की गई है. उन्होंने ब्लॉग में लिखा है कि, “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना लागू होने से खेती के कार्यों में उचित जल प्रबंधन हो सकेगा, सरकार द्वारा उठाया गया यह एक बहुत ही अहम कदम है. सरकार ने पुरानी योजनाओं के विस्तृत अध्ययन के बाद उनमें सुधार किया है. सरकार ने दुनिया की सबसे बड़ी किसान अनुकूल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और मौसम आधारित फसल बीमा योजना 2016 में शुरू की है. इसके तहत कृषि क्षेत्र के सभी जोखिमों से सुरक्षा प्रदान की गई है.
किसानों की आय बढ़ाने पर जोर
राधा मोहन सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय किसान आयोग ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई सुधारों की सिफारिश की थी. इनको आधार मानकर सरकार ने बहुत सारी सुधार योजनाएं लागू की हैं. उन्होंने लिखा कि, “Model Agricultural Land Leasing Act, 2016 राज्यों को जारी किया, जो कृषि सुधारों के संदर्भ में अत्यंत ही अहम कदम है. इसके जरिए भू-धारकों और लीज प्राप्तकर्ता दोनों के हितों का ख्याल रखा गया है. बाजार सुधार लागू करने से बाजारों में पारदर्शिता बढ़ी है. देश की राष्ट्रीय इलैक्ट्रॉनिक ई-मार्केट स्कीम 2016 यानी ई-नाम एक ऐसा ही एकीकृत उपाय है जो कि देश के कृषि बाजारों को एकसाथ जोड़ता है.
सरकार ने देश की 585 कृषि उत्पाद समितियों के अलावा भी मंडियों के बीच खुले व्यापार पर ध्यान देकर राष्ट्रीय कृषि बाजार की स्थापना की है. देश के वर्ष 2018 के बजट में, नई बाजार संरचना के बारे में बहुत सारी बातें कही गयी हैं, जिसकी बहुत दिनों से आवश्यकता भी थी. छोटे और सीमांत किसान, अपनी छोटी सी उपज को नजदीकी बाजार में बेच सकें, इसके लिए भी व्यवस्था की गई है.” कृषि मंत्री ने कहा कि 22 हजार ग्रामीण बाजारों का देशभर में फैलाव, ग्रामीण कृषि मार्केट के विकास के अंतराल को कम करता है.
नया आधारभूत ढांचा, छोटे और सीमांत किसान, ए.पी.एम.सी. या ई-नाम से जुड़कर अपनी छोटी-छोटी उपज को भी प्रभावशाली ढ़ंग से बेच सकेंगे. उन्होंने कहा कि ग्रामीण कृषि बाजार स्थापित होने से किसान सीधे तौर पर उपभोक्ताओं या रिटेलर्स को अपना उत्पाद बेच सकेंगे. हम और एक मजबूत और सक्षम कृषि बाजार के उचित न्यायिक ढांचे का विकास हासिल कर सकें इसलिए मोदी सरकार ने मॉडल (कृषि उत्पाद एवं पशुधन विपणन अधिनियम 2016) बनाकर सभी प्रदेशों को दे दिया है. इसके अलावा कृषि उत्पाद और पशुधन कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग एवं सेवा नियमावली 2018 भी राज्यों को लागू करने हेतु दी गई है.
फसल का दिया उचित दाम
कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों को फसल का उचित मूल्य दे रही है. उन्होंने कहा है कि, “लागत से न्यूनतम 50% ज्यादा समर्थन मूल्य देने का फैसला लेकर सरकार ने एक अहम कदम उठाया है जिससे किसानों के बड़े हितों की भरपाई हो सके. इससे भी ज्यादा अहम बात यह है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागू करने के लिए भी प्रतिबद्ध है. हरित क्रांति की शुरुआत से ही सरकारी खरीद केवल धान और गेहूं तक सीमित रही है. वैसे कभी-कभी कुछ और जींसों की खरीददारी भी की जाती रही है. किन्तु मोदी सरकार आने के बाद दलहन और तिलहन की खरीदारी में भारी बढ़ोतरी हुई है. हम सभी तरह के किसानों जिसमें दलहन, तिलहन के आलावा अन्य मोटे अनाजों के उत्पादन करने वाले किसान शामिल हैं, को अपने क्रियाकलापों में शामिल कर राज्य सरकारों के माध्यम से लाभ पहुंचाएंगे.”
सुधरेगा किसानों का जीवनस्तर
कृषि मंत्री ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की सुनिश्चित खरीद से, इनके उगाने वाले किसानों और इस सेक्टर को जो कि अभी तक उपेक्षित थे, को दरों में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी मिलेगी. उन्होंने कहा कि ये ऐसी फसलें हैं, जो जलवायु के अनुकूल हैं और भविष्य में जलवायु परिवर्तन को सहने की क्षमता रखती हैं. ब्लॉग में कृषि मंत्री ने लिखा है कि, “माननीय प्रधानमंत्री जी का देश की आजादी के 75वें वर्ष यानी 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य से एक बड़े उद्देश्य की प्रतिपूर्ति होगी. न्यूनतम समर्थन मूल्य के निर्धारण हेतु नई नीति का निर्माण कर और सुनिश्चित लाभ दिलाकर विभिन्न फसलों एवं भौगोलिक परिस्थितियों अनुसार, जिसमें समानता और किसान कल्याण शामिल है, सरकार एक नयी दिशा प्रदान कर रही है. सरकार ने अपनी अधिसूचना में यह सुनिश्चित किया है कि खरीफ, 2018 से अधिसूचित फसलों का एमएसपी उत्पादन की लागत का कम से कम 150 प्रतिशत होगा और मोटे अनाज के लिए एमएसपी 150-200 प्रतिशत होगा.”
खेती से जुड़े अन्य कामों पर भी जोर
कृषि मंत्री ने दावा किया कि सरकार ने खेती के अलावा पशुपालन, मछली पालन, जल जीवों के विकास को भी अपनी नीतियों और योजनाओं में उचित प्राथमिकता दी है. उन्होंने कहा है कि, “राष्ट्रीय गोकुल मिशन जो कि देशी नस्लों के संरक्षण और विकास पर आधारित है, पर ध्यान दिया जाना समुचित कृषि विकास का अभिन्न अंग है. इससे देशी नस्लें पालने वाले बहुत सारे लघु और सीमांत किसान जिसमें भूमिहीन कृषि मजदूर शामिल हैं, को उचित लाभ मिल रहा है. बड़े हर्ष का विषय है कि देश में 161 देशी नस्लों का पंजीकरण किया गया है, जिसके विकास के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद क्रियाशील है.” उन्होंने कहा कि मछली उत्पादन विकास के लिए लागू परियोजनाओं से मछुआरों के जीवन में आशातीत सुधार हो रहे हैं. मछली उत्पादन क्षेत्र ने कृषि के सभी क्षेत्रों से ज्यादा वृद्धि दर हासिल की है.
सहयोगी कृषि को भी दिया बढ़ावा
राधा मोहन सिंह ने कहा कि परिवार के भरण पोषण हेतु समुचित आय नहीं कमा पाने वाले लघु किसानों के लिए सहयोगी कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है. मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन, कृषि वानिकी और बांस उत्पादन जैसी सरकार की कृषि आधारित सहयोगी योजनाओं से खेत से नैसर्गिक संपदाओं के उत्पाद से कृषि जगत में अतिरिक्त रोजगार और आमदनी करने में मदद मिलेगी. कृषि मंत्री ने कहा है कि, “राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा दी गई उत्पातदकता बढ़ाने और कुपोषण दूर करने संबंधी सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने पिछले चार साल में ही फसलों की कुल 795 उन्नत किस्में विकसित की हैं.
इनमें से 495 किस्में जलवायु के विभिन्न दबावों के प्रति सहिष्णु हैं, जिसका फायदा किसान उठा रहे हैं. लंबे समय से भारतीय समाज में व्याप्त कुपोषण की समस्या दूर करने की दिशा में पहली बार सरकार द्वारा ऐतिहासिक पहल की गई जिसके अंतर्गत कुल 20 बायो-फॉर्टिफाइड किस्में विकसित कर खेती के लिए जारी की गईं. सीमान्त और लघु किसान परिवारों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में पहल करते हुए 45 एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) मॉडल विकसित किए गए जिनसे मृदा स्वास्थ्य, जल उपयोग प्रभावशीलता को बढ़ाया जा रहा है. साथ ही कृषि की जैव विविधता का संरक्षण किया जा रहा है.” कृषि मंत्री ने कहा कि इन मॉडलों को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए प्रत्येक कृषि विज्ञान केन्द्र में इस मॉडल को स्थापित किया जा रहा है और इनके प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं, ताकि किसान भाई इसकी सफलता को देखकर इसे अपनाने के लिए प्रेरित हों और खेती से कहीं अधिक लाभ कमा सकें.
कृषि योजनाओं में बजट की कमी नहीं
कृषि मंत्री ने कहा कि नीतिगत सुधारों और नई-नई योजनाओं को सरकार द्वारा लागू करने के लिए आवश्यकता अनुसार बजट की व्यवस्था की गई है. उन्होंने लिखा है कि, “पिछले वर्षों में मोदी सरकार ने ऐसी योजनाओं के क्रियान्वयन और मजबूती प्रदान करने के लिए 2,11,694 करोड़ रुपए का बजटीय प्रावधान किया है. इसके अलावा भी सरकार ने डेयरी, कोऑपरेटिव, मछली और जलजीवों के उत्पादन, पशुपालन, कृषि बाजार एवं सूक्ष्म सिंचाई के आधारभूत ढांचे और व्यवस्था में सुधार के लिए सक्षम कार्पस फंड बनाए हैं. इस प्रकार से सरकार ने कृषि जगत, किसानों के कल्याण के लिए और उपभोक्ताओं की अभिरूचि को ध्यान में रखकर सतत उत्पादन की तरफ आय केंद्रित दृष्टिकोण अपनाया है.”
कृषि मंत्री ने कहा कि देश में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने किसानों की समग्र भलाई और कल्यांण के लिए इस कोई लक्ष्य देशवासियों के सामने रखा है. यह लक्ष्य है वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का. उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के इस विजन के अनुसरण में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय अगस्त 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर ठोस कार्यनीति अपना रहा है.