ग्वालियर/मुरैना: दिल्ली एक और किसान आंदोलन का केन्द्र बन सकती है. केन्द्र सरकार भारतीय किसान यूनियन की पदयात्रा खत्म करवा कर राहत की सांस ले रही थी लेकिन अब एक और यात्रा तेजी से दिल्ली की तरफ बढ़ रही है. मध्य प्रदेश के ग्वालियर से करीब 25 हजार किसानों ने दिल्ली कूच किया है. खास बात ये है कि किसानों के इस मार्च को वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे यशवंत सिन्हा और संघ विचारक गोविंदाचार्य ने भी समर्थन दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी शनिवार को सत्याग्रहियों के बीच पहुंचकर अपना समर्थन जताने वाले हैं. राहुल इस दिन मुरैना में सत्याग्रहियों से मिलेंगे.
देश भर से जुटे भूमिहीन किसान
भूमि अधिकार की मांग को लेकर देश भर के भूमिहीन गांधी जयंती पर मेला मैदान में जमा हुए थे. दो दिन तक वहीं डेरा डाले रहे. गुरुवार को उन्होंने दिल्ली की ओर कूच किया. भूमि अधिकारों की मांग को लेकर किसानों की इस मुहिम में एकता परिषद के संस्थापक पी.वी.राजगोपाल, गांधीवादी सुब्बा राव समेत अनेक प्रमुख लोगों ने हिस्सेदारी निभाई. सभी ने सत्याग्रहियों के साथ कदमताल कर मांगों को लेकर आवाज बुलंद की.
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क्या है सत्याग्रहियों की मांग ?
एकता परिषद और सहयोगी संगठनों के आह्वान पर हजारों भूमिहीनों ने पांच सूत्रीय मांगों को लेकर जनांदोलन 2018 शुरू किया है. उनकी मांग है कि आवासीय कृषि भूमि अधिकार कानून, महिला कृषक हकदारी कानून (वुमन फार्मर राइट एक्ट), जमीन के लंबित मामलों के निपटारे के लिए न्यायालयों का गठन किया जाए. राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति की घोषणा और उसका क्रियान्वयन हो. वनाधिकार कानून 2006 और पंचायत अधिनियम 1996 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय, राज्य स्तर पर निगरानी समिति बनाई जाए.
पहले दिन चले 19 किलोमीटर
हाथ में झंडा और कंधे पर झोला टांगे हुए किसान आगरा-मुंबई मार्ग से दिल्ली की ओर रवाना हुए. पहले दिन किसान सत्याग्रहियों ने 19 किलोमीटर की दूरी तय कर मुरैना जिले की सीमा में दाखिल हुए. सत्याग्रहियों ने सुसेराकोठी और बुरवां गांव के बीच रात गुजारी. शुक्रवार सुबह यह कारवां फिर आगे बढ़ चला.
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सरकार ने की मनाने की कोशिश
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक सत्याग्रहियों के बीच पहुंचकर अपनी सरकारों का पक्ष रख चुके हैं. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक पत्र भेजकर केंद्र सरकार द्वारा भूमिहीनों के लिए किए जा रहे प्रयासों का ब्योरा भी दिया था. हालांकि ये नेता सत्याग्रहियों को मनाने में नाकामयाब रहे.
-आईएएनएस