Sunday, November 24, 2024

नौकरी और बिजनेस में चाहिए कामयाबी, तो बुधवार को करें ये आसान उपाय

क्या आपका मन किसी काम में नहीं लगता ? बार-बार किसी काम को करने से हतोत्साहित हो जाते हैं ? या फिर व्यापार को लेकर आप हमेंशा असंतुष्ट रहत हैं. तो इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए बुधवार का व्रत कर सकते हैं. यह व्रत स्त्री-पुरुष दोनों के लिए ही फलदायक होता है.

इस व्रत को करने से आपकी बुद्धि में काफी इजाफा होता है और समृद्धि में वृद्धि होती है करें ये उपाय

  • सर्वप्रथम स्नान ध्यान से मुक्त हो कर बध देवता के मंत्र से बुधत्वं बुद्धिजनको बोधदः सर्वदा नृणाम्। तत्वावबोधं कुरुषे सोमपुत्र नमो नमः।। का जाप कर ध्यान करें.
  • घर के इशान कोण में भगवान शिव या बध का चित्र या मूर्ति कांस्य के बर्तन में स्थापित करना चाहिए. उन पर बेलपत्र, अक्षत, धूप और दीप जलाकर विधिवत पूजा करनी चाहिए.
  • बुधवार के दिन हरे-पीले रंग के शेड वाले कपड़े पहनने चाहिए. पन्ना रत्न धारण करना शुभ होता है. व्रत में हरी वस्तुओं का इस्तेमाल करना चाहिए. मूंग का हलवा, हरे फल, छोटी इलायची का विशेष महत्व है.
  • बुधवार व्रत की पूर्णाहुति सूर्यास्त के बाद एक बार फिर से बुध को धूप, दीप और गुड़, चावल व दही का भोग लगाने से हीती है. उसके बाद इस प्रसाद क बाटकर स्वयं खाना चाहिए.
  • व्रत करने वाले को दिन में एक बार ही नमक रहित भोजन करन चाहिए.

 

बुधवार का व्रत विशाखा नक्षत्र में बुधवार के दिन से आरंभ करना चाहिए. जिसे 17 या 21 सप्ताह तक करना चाहिए. इस योग के नहीं मिल ने की स्थिति में इस व्रत को किसी भी माह में शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से किया जा सकता है. ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उन्हें दान देना चाहिए.

बुधवार व्रत कथा

कहते हैं कि समतापुर नगर में मधुसूदन नामक एक व्यक्ति रहता था. वह बहुत धनवान था. मधुसूदन का विवाह बलरामपुर नगर की एक सुंदर लड़की संगीता से हुआ था. एक बार मधुसूदन अपनी पत्नी को लेने बुधवार के दिन अपने ससुराल बलरामपुर गया. मधुसूदन ने पत्नी के माता-पिता से संगीता को विद करने के लिए कहा. माता-पिता बोले बेटा, आज बुधवार है. बुधवार को किसी भी शुभ कार्य के लिए यात्रा नहीं करते है. लेकिन मधुसूदन नहीं माना और उसने शुभ-अशुभ की बातों को न मानने की बात कही.

लड़की के माता-पिता ने उन्हें विदा  कर दिया. दोनों ने बैलगाड़ी से यात्रा प्रारंभ की. दो कोस की यात्रा के बाद उसकी बैलगाड़ी का एक पहिया टूट गया. वहां से दोनों पैदल ही यात्रा शुरू की. रास्ते में संगीता को प्यास लगी. मधुसूदन उसे एक पेड़ के नीचे बैठाकर जल लेने चला गया. थोड़ी देर बाद जब मधुसूदन जल लेकर वापस आया तो वह बुरी तरह हैरान हो उठा क्योंकि उसकी पत्नी के पास उसकी ही शक्ल-सूरत का एक दूसरा व्यक्ति बैठा था. संगीत भी मधुसूदन को देखकर हैरान रह गई. वह दोनों में कोई अंतर नहीं कर पा रही थी.

मधुसूदन ने उस व्यक्ति से पूछा तुम कौन हो और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठे हो ? मधुसूदन की बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा अरे भाई, यह मेरी पत्नी संगीता है. मैं अपनी पत्नी को ससुराल से विदा करा कर लाया हूं. लेकिन तुम कौन हो जो मुझसे ऐसा प्रश्न कर रहे हो ?

मधुसूदन ने कहा तुम जरूर कोई चोर या ठग हो. यह मेरी पत्नी संगीता है. मैं इसे पेड़ के नीचे बैठाकर जल लेने गया था. इस पर उस व्यक्ति ने कहा, अरे भाई ! झूठ तो तुम बोल रहे हो. संगीता को प्यास लगने पर जल लेने तो मैं गया था. मैंने तो जल लाकर अपनी पत्नी को पिला भी दियाहै. अब तुम चुपचाप यहां से चलते बनो. नहीं तो किसी सिपाही को बुलाकर तुम्हें पकड़वा दूंगा.

दोनों एक-दूसरे से लड़ने लगे. उन्हें लड़ते देख बहुत से लोग वहां एकत्रित हो गए. नगर के कुछ सिपाही भी वहां आ गए. सिपाही उन दोनों को पकड़कर राजा के पास ले गए. सारी कहानी सुनकर राजा भी कोई निर्णय नहीं कर पाया. संगीता भी उन दोनों में से अपने वास्तविक पति को नहीं पहचान पा रही थी.

राजा ने दोनों को कारागार में डाल देने के लिए कहा. राजा के फैसले पर असली मधुसूदन भयभीत हो उठा. तभी आकाशवाणी हुई, मधुसूदन ! तूने संगीता के माता-पिता की बात नहीं मानी और बुधवार के दिन अपने ससुराल से प्रस्थान किया. यह सब भगवान बुधदेव के प्रकोप से हो रहा है.

मधुसूदन ने भगवान बुधदेव से प्रार्थना की कि हे भगवान बुधदेव मुझे क्षमा कर दीजिए. मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई. भविष्य में अब कभी बुधवार के दिन यात्रा नहीं करूंगा और सदैव बुधवार को आपका व्रत किया करूंगा.

मधुसूदन के प्रार्थना करने से भगवान बुधदेव ने उसे क्षमा कर दिया. तभी दूसरा व्यक्ति राजा के सामने से गायब हो गया. राजा और दूसरे लोग इस चमत्कार को देख हैरान हो गए. भगवान बुधदेव की इस अनुकम्पा से राजा ने मधुसूदन और उसकी पत्नी को सम्मानपूर्वक विदा किया.

कुछ दूर चलने पर रास्ते में उन्हें बैलगाड़ी मिल गई. बैलगाड़ी का टूटा हुआ पहिया भी जुड़ा हुआ था. दोनों उसमें बैठकर समतापुर की ओर चल दिए. मधुसूदन और उसकी पत्नी संगीता दोनों इस तरह भगवान बुधदेव की कृपा से उनके यहां खुशियां बरसने लगीं.

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles