अयोध्या में कारसेवकों पर फायरिंगः मुलायम सिंह की बढ़ सकती है मुश्किलें

समाजवादी पार्टी के संरक्षक और यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. मामला वर्ष 1990 में अयोध्या में कारसेवकों पर फायरिंग से जुड़ा हुआ है.

निजी न्यूज चैनल ने गोलीकांड को लेकर किया बड़ा खुलासा

साल 1990 के दशक में हुआ राम मंदिर- बाबरी विवाद शायद की किसी के जहन से धुंधला हुआ हो. साल 1990 में अयोध्या चलो के आह्वान पर अयोध्या पहुंचे लाखों कारसेवकों पर चलाई गई गोलियां की घटना ने पूरे देश को झकझोर के रख दिया था. अब करीब 28 साल बाद एक निजी न्यूज चैनल ने स्टिंग कर इस ‘गोलीकांड’ को लेकर बड़ा खुलासा किया है. जिसकी आंच तत्कालीन मुलायम सरकार पर जा पहुंची है.

निजी चैनल के रिपोर्टर ने अयोध्या के राम जन्मभूमि पुलिस स्टेशन के तत्कालीन इंचार्ज से बातचीत की. जिसमें उन्होंने कई चौंका देने वाले खुलासे किए साथ ही तत्कालीन मुलायम सरकार पर गंभीर प्रश्न खड़े किए. जो मुलायम सिंह यादव के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं.

2 नवंबर 1990 को फायरिंग

2 नवंबर 1990 को जब कारसेवकों ने अयोध्या में विवादित ढांचे (बाबरी मस्जिद) को गिराने की कोशिश की थी, तब मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे. बाबरी मस्जिद को बचाने के लिए कारसेवकों पर पुलिस ने फायरिंग की थी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक फायरिंग में 16 लोग मारे गए थे. मुलायम ने कहा था कि ‘अगर और भी जानें जातीं, तब भी वह धर्मस्थल को बचाते.’
गौरतलब है कि मुलायम सिंह यादव को अयोध्या गोलीकांड के बाद हुए विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था. इस घटना के बाद 1991 की राम लहर और ध्रुवीकरण वाले माहौल में हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार यूपी में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने थे.

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