ज्यों- ज्यों चुनाव करीब आते जा रहे हैं, चुनावी जंग बढ़ती जा रही है. एक पार्टी को मात देने के लिए सभी राजनीति दल एकजुट हो गए हैं. अब खबर यह आ रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराने के लिए पूर्व जज, पूर्व सैनिक और पुजारी वाराणसी से मैदान में उतरेंगे.बता दें कि 19 को पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मतदान होगा.
उनके खिलाफ पीएम के हमशक्ल कहे जाने वाले अभिनंदन पाठक भी मैदान में होंगे. वहीं, रिटायर्ड जस्टिस सी.एस. कर्णन भी नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरेंगे.
कर्णन सुप्रीम कोर्ट के अवमानना मामले में दोषी करार दिए जा चुके हैं, अब वे यहां से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं. अभिनंदन पाठक 26 अप्रैल को नामांकन दाखिल करेंगे. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को आड़े हाथों लेते हुए अभिनंदन पाठक ने कहा कि ‘बीजेपी जुमलों के लिए जानी जाने वाली एक पार्टी है, जिसने लोगों को अच्छे दिन का वादा किया था. बीजेपी ने हर नागरिक को 15 लाख रुपए देने का वादा किया गया था और अब वे हमें पकौड़ा बेचने के लिए कह रहे हैं. वे अली बनाम बजरंगबली का मुद्दा उठा रहे हैं.’
सीएस कर्णन पहले मध्य चेन्नई लोकसभा सीट के लिए अपना नामांकन दाखिल कर चुके हैं और वाराणसी उनका दूसरा निर्वाचन क्षेत्र होगा. बता दें कि जस्टिस कर्णन ने 2018 में एंटी-करप्शन डाइनेमिक पार्टी (एसीडीपी) का गठन किया था जिसके उम्मीदवार के रूप में उन्होंने अपना पर्चा दाखिल किया है. इसके साथ ही सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव भी यहां से चुनाव लड़ने का ताल ठोक रहे हैं.
पूर्व सैनिक यादव सोशल मीडिया पर एक वीडियो के जरिए खराब खाना दिए जाने की शिकायत कर चुके हैं. यादव ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कहा कि “मैं जवानों की समस्या को उठाना चाहता हूं. प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र से खड़ा होने से मुझे उम्मीद है कि मेरी आवाज सुनी जाएगी.”
तमिलनाडु से 111 किसान और फ्लोरोसिस से पीड़ित अंसला स्वामी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लामबंद हैं. पी. अय्यकन्नू की अगुआई में ये 111 किसान दिल्ली में 2017 में प्रदर्शन कर चुके हैं. इसके अलावा तेलंगाना के नलगोंडा और आंध्र प्रदेश के प्रकाशम के फ्लोरोसिस पीड़ित भी इस कतार में हैं, जो वड्डे श्रीनिवास और जलागम सुधीर के नेतृत्व में पानी में फ्लोराइड मिलने का मुद्दा उठा रहे हैं. यह इन दोनों राज्यों में गंभीर मुद्दा है.
इन सबमें जो सबसे गंभीर उम्मीदवार हैं, वह हैं भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद. उन्होंने 30 मार्च को वाराणसी में रोड शो किया था, जिसमें बड़ी संख्या में दलित युवा शामिल हुए थे. चंद्रशेखर ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि “मैंने चुनौती दी थी कि मोदी जहां से चुनाव लड़ेंगे, मैं वहीं से लडूंगा. इसीलिए मैं काशी आया हूं. मोदी अगर चाहें तो मुझसे बच सकते हैं और काशी से चुनाव न लड़ें.” उन्होंने मोदी के चौकीदार वाले अभियान पर चुटकी लेते हुए कहा कि “चौकीदार हो जाएं खबरदार, आ गया है असरदार.”
चंद्रशेखर ने कहा, “मैं सिर्फ बीजेपी को हराने के लिए लड़ रहा हूं, देश के संविधान को बचाने के लिए चुनाव लड़ रहा हूं. मैं नेता नहीं हूं, समाज का बेटा हूं.” उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठी सरकार गरीबों के हित में काम नहीं कर रही है. गरीबों को लूट रही है. अमीरों की जेब भर रही है. दो करोड़ युवाओं की नौकरियां छीन ली गई हैं. गंगा को साफ करने का अभियान चलाने वाले वाराणसी के संकटमोचन मंदिर के प्रमुख पुजारी और बीएचयू के प्रोफेसर विश्वंभरनाथ मिश्रा भी मोदी को चुनौती देने के लिए तैयार हैं.