नई दिल्ली: अलंकृत आईपीएस अधिकारी शहीद हेमंत करकरे के बारे में भाजपा उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर द्वारा दिए बयान से नाराज 70 से ज्यादा सेवानिवृत्त लोक सेवकों ने उनकी उम्मीदवारी वापस लेने की मांग की है। प्रज्ञा ने कहा था कि हेमंत की मौत उनके शाप से हुई थी, क्योंकि उन्होंने उन्हें मालेगांव बम धमाका मामले में जेल में यातनाएं दी थीं। प्रज्ञा मालेगांव मामले में अब भी आरोपी हैं और भाजपा ने उन्हें भोपाल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है।
पूर्व अधिकारियों ने एक खुले पत्र में कहा कि ठाकुर ने राजनीतिक मंच का इस्तेमाल न सिर्फ अपनी ’कट्टरता को दिखाने के लिए’ किया, बल्कि उन्होंने करकरे की यादों का भी अपमान किया है। एक अधिकारी, जो अपने पेशेवराना अंदाज के लिए जाना जाता हो, उनका इस तरह अपमान हैरान करने वाला है और इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। देश को करकरे के बलिदान का सम्मान करना चाहिए और उनका तथा उनकी स्मृतियों का अपमान नहीं करने दिया जाना चाहिए।
’पत्र में कहा गया है कि करकरे के साथ या उनकी देखरेख में काम करने वाला हर अधिकारी मानता है कि वह निहायत ईमानदार और प्रेरणा देने वाले व्यक्ति थे।’ इस पत्र पर पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक जूलियो रिबेरो, पुणो के पूर्व पुलिस आयुक्त मीरन बोरवानकर और प्रसार भारती के पूर्व कार्यकारी अधिकारी जवाहर सरकार के भी हस्ताक्षर हैं। पत्र में प्रधानमंत्री द्वारा प्रज्ञा की उम्मीदवारी का समर्थन करने पर भी नाराजगी जताई गई है।