यूपी के पूर्व डीजीपी ने सिख दंगों के लिए राजीव गांधी को ठहराया जिम्मेदार

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव भले अपने अंतिम दौर में पहुंच चुका हो लेकिन चुनावी बुखार अपने चरम पर है. इस चुनाव में 1984 का सिख (1984 Sikh Riots) दंगा मुद्दे पर जमकर राजनीति हो रही है. पीएम मोदी ने इस मुद्दे को उठाकर कांग्रेस को घेरने की कोशिश की. उन्होंने इसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भी दोषी ठहराया.

प्रधानमंत्री के इस बयान पर पूरी कांग्रेस पार्टी उन पर एक साथ हमला करने लगी. राहुल-प्रियंका के अलावा कई नेताओं ने शब्दों की मर्यादा तक लांघ दी थी. वहीं कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने जब इस मामले पर ‘हुआ तो हुआ’ का बयान दिया. तो मानों उन्होंने आग में घी डालने का काम किया हो.

अब इसी में एक नाम और शामिल हो गया है. यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने इसे और गरम कर दिया है. उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट डाला जिसमें लिखा कि 84 दंगा नहीं था बल्कि राजीव गांधी के इशारे पर नरसंहार किया गया था.उन्होंने लिखा कि ‘1984 में सिखों के खिलाफ हुई मारकाट कोई दंगा नहीं था. दंगा दोनों तरफ से मारकाट को कहते हैं. यह राजीव गांधी के आदेश पर उनके चुने हुए विश्वास पात्र कांग्रेसी नेताओं द्वारा खुद खड़े होकर कराया गया नरसंहार था.’

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उन्होंने आगे लिखा कि ‘इंदिरा गांधी जी की हत्या के दिन 31.10.1984 को मैं 6 डाउन पंजाब मेल से लखनऊ से वाराणसी जा रहा था. ट्रेन अमेठी स्टेशन पर खड़ी थी, उसी समय एक व्यक्ति जो वहीं से ट्रेन में चढ़ा था, उसने बताया कि इंदिरा गांधी को गोली मार दी गई. वाराणसी तक कहीं कोई बात नहीं हुई. वाराणसी में भी अगले दिन सुबह तक कुछ नहीं हुआ. उसके बाद योजनाबद्ध तरीके से घटनाएं की गईं ’

उन्होंने लिखा कि अगर जनता के गुस्से का ‘आउट बर्स्ट’ होता तो दंगा फौरन शुरू हो जाता. पूर्व डीजीपी ने इस पोस्ट के जरिए इसे योजनाबद्ध तरीके से किया गया नरसंहार करार दिया. उन्होंने ये भी दावा किया कि इस नसंहार में तत्कालीन कांग्रेसी नेता भगत, टाइटलर, माकन, सज्जन कुमार मुख्य ऑपरेटर थे. इतना ही नहीं उन्होंने लिखा कि राजीव गांधी के खास विश्वासपात्र कमलनाथ इसकी मॉनिटरिंग कर रहे थे.

उन्होंने लिखा है कि नरसंहार पर राजीव गांधी का बयान और उन सभी कांग्रेसियों को संरक्षण के साथ-साथ अच्छे पदों पर तैनात करना उनकी संलिप्तता के जनस्वीकार्य सबूत हैं. राजीव गांधी की मृत्यु के बाद भी कांग्रेस सरकारों द्वारा इन व्यक्तियों को संरक्षण तथा पुरस्कृत करवाए इन सबकी सहमति दर्शाता है.

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