पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर को हुआ था। शनिवार को उनका पार्थिव शरीर दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय में रखा गया, जहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आम जनता ने उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की। लगभग एक घंटे तक उनका पार्थिव शरीर वहां रखा गया और फिर अंतिम यात्रा की शुरुआत हुई। इस दौरान उनका शव आर्मी मेमोरियल ट्रक पर रखा गया था, जिस पर राहुल गांधी और उनका परिवार साथ में था।
ट्रक के साथ कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी, और सुरक्षाबल के जवान ट्रक के साथ चल रहे थे। इस यात्रा को देखकर यह साफ था कि मनमोहन सिंह के लिए देश की जनता और राजनीतिक वर्ग में कितनी श्रद्धा थी। उनके निधन से देश ने एक महान नेता खो दिया था, और हर कोई अंतिम विदाई देने के लिए एकजुट था।
राहुल गांधी ने दिया कंधा, भावुक हुए सभी
जब मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर निगम बोध घाट की ओर ले जाया जा रहा था, तो राहुल गांधी ने उनकी अर्थी को कंधा दिया। राहुल गांधी ने इस अवसर पर कहा, “मेरे राजनीतिक गुरु हमें छोड़कर चले गए हैं।” मनमोहन सिंह की मृत्यु ने न सिर्फ उनके परिवार को, बल्कि कांग्रेस पार्टी और पूरे देश को गहरा आघात पहुँचाया है। उनके स्वास्थ्य में पहले से ही गिरावट थी, और गुरुवार रात सांस लेने में तकलीफ के बाद उन्हें दिल्ली के AIIMS अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।
मनमोहन सिंह 92 साल के थे और कई सालों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्हें 2006 में दूसरी बार बाईपास सर्जरी करानी पड़ी थी और इसके बाद उनकी सेहत में लगातार गिरावट आई। उनकी मौत की खबर फैलते ही राजनीतिक हलकों में शोक की लहर दौड़ गई और नेताओं ने दिल्ली का रुख किया। गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता और अन्य दिग्गज नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।
राष्ट्रीय शोक और कांग्रेस की स्मारक की मांग
मनमोहन सिंह के निधन पर देशभर में 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था। कांग्रेस पार्टी ने उनके अंतिम संस्कार के दौरान एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा गया, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार उस स्थान पर किया जाए, जहां भविष्य में उनका स्मारक बनाया जा सके। खड़गे ने यह भी कहा कि यह स्थान पवित्र हो, ताकि उनके योगदान को हमेशा याद किया जा सके।
मनमोहन सिंह: एक नेतृत्वकर्ता, एक महान अर्थशास्त्री
मनमोहन सिंह का जीवन भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण था। वे 2004 से 2014 तक दो बार प्रधानमंत्री रहे और उनके नेतृत्व में भारत ने कई आर्थिक सुधारों का अनुभव किया। इससे पहले, वे 1991 से 1996 तक वित्तमंत्री रहे, जब उन्होंने भारत को आर्थिक संकट से उबारने के लिए बड़े सुधार किए। उनके नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था में एक नया मोड़ आया, जो देश को आर्थिक विकास की दिशा में एक नई दिशा दे गया।
मनमोहन सिंह का कार्यकाल न केवल वित्तीय सुधारों के लिए, बल्कि देश की अंतरराष्ट्रीय नीति और कूटनीतिक संबंधों के लिए भी याद किया जाएगा। उनके योगदान के कारण उन्हें भारत के सबसे सम्मानित प्रधानमंत्रियों में से एक माना जाता है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर और एक अकादमिक रूप में योगदान
मनमोहन सिंह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर भी रहे थे। वे 1982 से 1985 तक इस पद पर थे। इससे पहले, वे 1985 से 1987 तक भारतीय योजना आयोग के प्रमुख रहे थे और उन्होंने देश की विकास योजनाओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके विचारशील नेतृत्व ने देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने में मदद की।
मनमोहन सिंह ने अपनी शिक्षा और अनुभव से देश के लिए कई सुधार किए। इसके अलावा, वे पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर भी रहे। उन्होंने दुनिया भर में अपने विचारों और नीतियों का प्रभाव छोड़ा और देश के एक महत्वपूर्ण नीति निर्माता के रूप में खुद को स्थापित किया।
पंजाब के झेलम में जन्म, विभाजन के दर्द से गुजरना पड़ा
मनमोहन सिंह का जन्म 1932 में अविभाजित पंजाब के झेलम में हुआ था, जो आज पाकिस्तान का हिस्सा है। उनके बचपन के दोस्त उन्हें ‘मोहना’ पुकारते थे। जब वे चौथी कक्षा में थे, तो उनका परिवार चकवाल चला गया, जो अब पाकिस्तान में है। देश के विभाजन के बाद उनका परिवार अमृतसर में आ गया और यहीं से उनके जीवन की नई शुरुआत हुई।
मनमोहन सिंह के सरल स्वभाव और गहरे ज्ञान के कारण उन्हें राजनीति में भी भारी सम्मान मिला। उन्होंने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दी और हमेशा देश के उत्थान के लिए काम किया। उनका योगदान हर क्षेत्र में अद्वितीय था और हमेशा याद किया जाएगा।
अर्थशास्त्र के मास्टर और राजनीति के महान नेता
डॉ. मनमोहन सिंह को उनके शांत और विनम्र स्वभाव के लिए भी जाना जाता है। जब वे राजनीति में आए, तो उन्होंने अपने विरोधियों से भी सम्मान हासिल किया। उनका जीवन यह साबित करता है कि राजनीति में सफलता सिर्फ संघर्ष और मेहनत से नहीं, बल्कि सही नीतियों और दृष्टिकोण से हासिल होती है।
मनमोहन सिंह ने देश की आर्थिक नीतियों को मजबूती दी और विकास की दिशा में ठोस कदम उठाए। उनकी कड़ी मेहनत और दृषटिकोन ने उन्हें भारत के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक बना दिया।