उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने राम मंदिर पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में चारों शंकराचार्य नहीं जाएंगे। मंदिर अभी पूरी तरह से बना नहीं है, इसलिए आधे अधूरे मंदिर में भगवान को स्थापित किया जाना धर्म संम्मत नहीं है। उन्होंने कहा कि हम एंटी मोदी नहीं है लेकिन हम एंटी धर्म शास्त्र भी नहीं होना चाहते।
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा, “शंकराचार्य केवल धर्म व्यवस्था देते हैं। चंपत राय को जानना चाहिए कि शंकराचार्य और रामानंद संप्रदाय के धर्मशास्त्र अलग-अलग नहीं होते। अगर ये मंदिर रामानंद संप्रदाय का है तो वहां चंपत राय और दूसरे लोग क्यों हैं? वे लोग वहां से हट जाएं और मंदिर रामानंद संप्रदाय को सौंपे। प्राण प्रतिष्ठा के पहले ही यह मंदिर रामानंद संप्रदाय को सौंप दे और रामानंद संप्रदाय के लोग ही वहां प्राण प्रतिष्ठा करेंगे।”
उन्होंने कहा, “चारों शंकराचार्य वहां नहीं जा रहे हैं। ऐसे किसी राग द्वेष के कारण नहीं बल्कि शंकराचार्य का यह दायित्व है कि वह शास्त्र विधि का पालन करें और करवाएं। मंदिर अभी बना नहीं है और प्रतिष्ठा की जा रही है। कोई ऐसी परिस्थिति नहीं है जिसकी वजह से यह प्राण प्रतिष्ठा जल्दी करनी पड़े। ऐसे में उचित मुहूर्त और समय का इंतजार किया जाना चाहिए। हम एंटी मोदी नहीं है लेकिन हम एंटी धर्म शास्त्र भी नहीं होना चाहते। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सभी लोग त्यागपत्र दें।”