बाराबंकी: लोकसभा चुनाव के पांचवे चरण में जिले के मंझलेपुर गांव के मतदाताओं ने सोमवार को मतदान का बहिष्कार कर दिया। मतदान के बहिष्कार की सूचना पाकर मौके पर पहुंचे बाराबंकी के उपजिलाधिकारी अभय पाण्डेय ने कहा कि ग्रामीणों ने गांव में विकास न होने का आरोप लगाकर मतदान का बहिष्कार किया है। जबकि उपजिलाधिकारी ने कहा है कि आचार संहिता समाप्त होने के बाद उनकी मांगों का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जाएगा और विकास कार्य कराए जाएंगे।
मगर उपजिलाधिकारी के इस आश्वासन का असर ग्रामीणों पर नहीं पड़ा। मंझलेपुर गांव की कुल आबादी 917 है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस गांव को विकास से दूर रखा गया है, यहां की नालियों की सफाई न होने से वह बजबजा रही हैं। सफाई के नाम पर यहां कोई काम नहीं हुआ है। शौचालय और प्रधानमंत्री आवास भी इस गांव में किसी को नहीं मिला है। यहां की सड़कें भी उबड़-खाबड़ हैं। इन्हीं सब बातों को लेकर मतदान का बहिष्कार किया। ग्रामीणों ने कहा कि वह सिर्फ अपना अधिकार मांग रहे हैं न कि भीख।
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उनका कहना था कि अगर डीएम आज मौके पर आ जाते तो हम लोग जाकर अपना वोट जरूर डालते। मंझलेपुर गांव के मतदाता दिन भर जिलाधिकारी के खुद गांव आने की मांग करते रहे। दरअसल, ग्रामीण खुद डीएम से मिलकर अपनी समस्याएं उन्हें बताना चाहते थे। ग्रामीण दिनभर काम नहीं तो वोट नहीं के नारे लगाते रहे। ग्रामीणों का आरोप है कि वह बीते कई महीनों से जिला प्रशासन के पास चक्कर लगाते रहे, लेकिन गांव के विकास की पूरी तरह से अनदेखी की गई।
मतदान समाप्त होने के बाद बूथ के पीठासीन अधिकारी राजेश किशोर पाण्डेय ने बताया कि इस बूथ पर कुल 917 मतदाता है। मगर सिर्फ एक मतदाता ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। कुछ स्थानीय मुद्दे थे, जिनको लेकर ग्रामीणों में आक्रोश था और इसलिए उन्होंने अपने वोट नहीं डाले।