नई दिल्ली: नौ दिन तक चलने वाला नवरात्र हिंदुओं का एक पवित्र और प्रमुख त्योहार है, जिसे देश के कोने कोने में बड़ी श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जाता है। शक्ति का प्रतीक यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि जब जब देवता किसी आसुरी शक्ति का विनाश करने में असफल रहे हैं, दुर्गा रूपी शक्ति ने उसका नाश किया है। नौ दिन चलने वाले नवरात्र की तैयारियां पूरी हो चुकी है। शनिवार को मां भगवती के प्रथम शैलपुत्री के पूजन के साथ ही 14 अप्रैल तक चलने वाले वासंतिक नवरात्र की विधि विधान से शुरुआत होगी।
शक्तिपीठ व सिद्धपीठ आदि मंदिरों में भव्य सजावट की गई है। राजधानी के प्राचीन एतिहासिक झंडेवाला देवी मंदिर में मां शक्ति की आराधना स्थल है, जहां नवरात्र बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। मंदिर के सचिव कुलभूषण आहूजा के अनुसार नवरात्र की व्यवस्था को और अधिक सुचारु बनाने के लिए मंदिर के सेवादारों को विभागानुसार अलग-अलग रंग के बैज दिए गए हैं, ताकि उनकी आसानी से पहचान हो सके। साथ ही झंडेवाला मंदिर द्वारा संचालित वेद विद्यालय के विद्यार्थी प्रत्येक नवरात्र में प्रात: दुर्गासप्तशती का पाठ एवं सायं वेद मंत्रों का सस्वर पाठ करेंगे।
सभी प्रवेश द्वारों पर भव्य तोरणद्वार बनाए गए हैं। मंदिर के निदेशक जनसंपर्क एनके सेठी के अनुसार नंगे पांव आने वाले भक्तों के लिए कारपेट बिछाया गया है, छाया के लिए उपरी हिस्से में तिरपाल का प्रयोग किया जाएग। व्रत करने व न करने वालों के लिए अलग-अलग भंडारा राउंड द क्लाक चलेगा। झंडेवाला मंदिर, कालका जी मंदिर, श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर, छतरपुर, श्री मंदिर शिवसभा, गुफाओं वाले मंदिर के नाम से विख्यात प्रीति विहार स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर, माता नीलम देवी मंदिर, मयूर विहार फेज दो, श्री संतोषी माता मंदिर, हरी नगर समेत दिल्ली के विभिन्न मंदिरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, सुरक्षा गार्ड्स के साथ ही दिल्ली पुलिस सुरक्षा प्रदान करेगी। कालका जी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत के सान्निध्य में मंदिर के कपाट मां के शैलपूत्री के पूजन के साथ ही खोले जाएंगे।
कलश स्थापन का शुभ मुहूर्त :
अखिल भारतीय ज्योतिष परिषद के राष्ट्रीय महासचिव आचार्य कृष्णदत्त शर्मा के अनुसार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त लाभ एवं अमृत चौघड़यिा तथा शुभ अभिजीत मुहूर्त में किया जाना अति उत्तम होता है। इस वर्ष प्रात:काल 07:20 बजे से 08:53 बजे तक शुभ चौघड़यिा में सर्वोत्तम है। यदि किसी कारण कलश की स्थापना इस दौरान न कर पाए तो अभिजीत मुहूर्त एवं मध्यान्ह 11:30 से 12:18 बजे तक किया जाना उत्तम होगा। वैसे इस वर्ष घट स्थापना सुबह सूर्योदय से दोपहर 02:58 से पूर्व प्रतिपदा तिथि में किया जा सकता है।