विश्वप्रसिद्ध सनातन ध्वज वाहक गीता प्रेस गोरखपुर से जुड़ी बेहद दुखद खबर, गीताप्रेस के ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल का निधन हो गया है।वे गीता प्रेस से साल 1950 से जुड़े थे।
उनका निधन 27 अक्टूबर की रात में हुआ। जानकारी के रात को खाना खाने के बाद वे सोने चले गए थे। इसी समय उनका देहांत हो गया। उनके निधन पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने शोक जताया है। शोक संदेश में मुख्यमंत्री योगी ने कहा है कि विगत 40 वर्षों से गीता प्रेस के ट्रस्टी के रूप में बैजनाथ का जीवन सामाजिक जागरूकता और मानव कल्याण के लिए समर्पित रहा।वह ईश्वर के अनन्य भक्त थे। उन्होंने कहा कि बैजनाथ के निधन से समाज को अपूरणीय क्षति हुई है।उन्होंने शोकाकुल परिजनों से बातकर उन्हें ढांढस बंधाया। गौरतलब है कि हाल ही में गीता प्रेस गोरखपुर ने अपना शताब्दी वर्ष मनाया था। भारत सरकार ने गीता प्रेस गोरखपुर का चयन साल 2021 के गांधी शांति पुरस्कार के लिए किया था।हालांकि, गीता प्रेस ट्रस्ट ने सम्मान तो स्वीकार कर लिया, लेकिन पुरस्कार के रूप में मिलने वाली एक करोड़ रुपये की राशि लेने से इंकार कर दिया था।
गीता प्रेस महापुरुषों के सौ वर्ष के तप से यहां तक पहुंची है।सौ वर्ष में लगभग 93 करोड़ पुस्तकों का प्रकाशन किया गया है और पूरे विश्व में इसका बांटा गया है।गीता प्रेस, गोरखपुर में लगभग 15 भाषाओं में श्रीमद् भागवत गीता का प्रकाशन किया जाता है। इनमें हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगू, संस्कृत और कई अन्य भाषाएं शामिल हैं। यहां छपने वाली धार्मिक पुस्तकों को गीता प्रेस के बाहर अलग से बेचने के लिए संस्था ने सेल डिपो बनाई है। यहां गीता प्रेस में छपने वाली सभी धार्मिक पुस्तकें कम दाम में मिल जाएंगी।यहां से पुस्तक खरीदने पर पाठकों को उपहार स्वरूप कोई ना कोई अन्य पुस्तक भेंट दी जाती है। इसमें ज्यादातर सेठ जी स्वामी जी भाई की किताबें होती हैं।कई बार कल्याण के भी अंक होते हैं। शताब्दी वर्ष पूर्ण होने पर अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गीता प्रेस में हुए कार्यक्रम में शामिल हुए थे।