G7 शिखर सम्मेलन में भारत होगा मुख्य अतिथि: – जर्मन चांसलर स्कोल्ज

जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने रूस के खिलाफ एक प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इस मिशन को अंजाम देने के इरादे से अगले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को G 7 शिखर सम्मेलन में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित करने की योजना बनाई है।

इस बार G7 की अध्यक्षता जर्मनी कर रहा है, 26 जून से 28 जून तक बवेरियन आल्प्स में होने वाले इस सभा में इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका और सेनेगल के नेताओं का जर्मनी स्वागत करेगा।

सूत्रों की माने तो रूस के खिलाफ़ इस निर्णय की घोषणा सोमवार की शुरुआत में की जा सकती है, जब स्कोल्ज़ बर्लिन में वार्ता और जर्मन-भारतीय कैबिनेट की संयुक्त बैठक के लिए मोदी का स्वागत करेंगे।

गौरतलब है कि आने वाले वर्षों में जर्मनी भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना चाहती है। और आर्थिक प्रोत्साहन की पेशकश करके देश को गले लगाने के यूरोपीय संघ के प्रयासों का भी समर्थन करना चाहती है, साथ में रूस के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करने में मदद कर सकती है।

दरअसल अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जापान और कनाडा सहित जर्मनी और उसके G7 सहयोगियों ने रूस पर व्यापक रुप से प्रतिबंध लगाए हैं।

लेकिन कुछ अन्य देश इनके प्रयासों में सिर्फ़ शामिल होने मात्र हैं – और लैटिन अमेरिका, अफ्रीका, एशिया और मध्य पूर्व में कई सरकारें रूस के खिलाफ़ इस करवाई को करने से कतरा रही हैं।

आपको बता दे की ये सात सरकारें विश्व के प्रमुख देशों को शामिल करने के प्रयासों में समन्वय कर रही हैं और भारत उस सूची में शीर्ष पर है।

खबरों की मानें तो यूरोपीय संघ ने तथा इनके सदस्य राष्ट्रों ने पिछले महीने दक्षिण एशियाई राष्ट्र के साथ व्यापार वार्ता फिर से शुरू किए हैं। ताकि इन देशों को रूस से दूरी बनाने में, विविधता लाने के लिए एक व्यवहारिक विकल्प प्रदान किया जा सके।

वहीं कुछ यूरोपीय सहयोगी देशों ने यूक्रेन को टैंक जैसे भारी हथियार नहीं भेजने और तेल और प्राकृतिक गैस सहित रूसी जीवाश्म ईंधन के लिए तत्काल आयात प्रतिबंध को अस्वीकार करने के लिए जर्मनी की आलोचना की है।

सोमवार को अपनी बैठक में, स्कोल्ज़ और मोदी इस बात पर चर्चा करेंगे कि यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में श्रम की कमी से निपटने के लिए भारत से कुशल श्रमिकों के लिए वीजा नियमों को और कैसे आसान बनाया जाए, और जलवायु-हानिकारक कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए भारत में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तथा हिस्सेदारी को कैसे तेज किया जाए।

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