यूपी के चर्चित गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय की टीम छापेमारी कर रही है. गुरुवार को ईडी ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में छापेमारी की है. इस घोटाले के मामले में यूपी के लखनऊ में दो जगह गोमतीनगर और राजाजीपुरम में इंजीनियरों और ठेकेदारों के घर छापेमारी चल रही है.
ईडी को उन अकूत संपत्तियों की तलाश है, जो मामले में आरोपी इंजीनियरों ने जुटाई है. ईडी की इस कार्रवाई से अचानक हड़कंप मच गया है.
छापेमारी में जुटी ईडी टीम
ईडी की टीम ने लखनऊ के गोमती नगर के विशालखंड में पंहुचकर छापेमारी की और ठेकेदारों और इंजीनियरों के पूरे घर को खंगाल डाला. सिंचाई विभाग के पूर्व अधिकारियों और गैमन इंडिया कंपनी के अधिकारियों के आठ ठिकानों पर ईडी की टीम पहुंची और घंटों तलाशी ली.
उत्तरप्रदेश के अलावा, राजस्थान के भिवाड़ी में भी प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी जारी है, वहीं हरियाणा के गुरुग्राम और नोएडा के सेक्टर 62 स्थित आईथम टॉवर में भी छापेमारी की गई है.
क्या है मामला
दरअसल, योगी सरकार के आने के बाद ही सपा सरकार के सबसे अहम प्रोजक्ट गोमती रिवर फ्रंट में घोटाले का आरोप लगा. आरोप था कि 1513 करोड़ रुपए की इस परियोजना में 1437 करोड़ रुपया खर्च किया जा चुका है लेकिन इसके बावजूद भी इस प्रोजक्ट में अभी 65 फीसदी ही काम पूरा हो सका है. योगी सरकार ने तुरंत इस प्रोजक्ट की जांच के आदेश दिए. मामले में योगी सरकार ने मई 2017 में रिटायर्ड जज अलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग से जांच कराई. जांच में कई खामियां सामने आई जिसके बाद योगी सरकार ने केंद्र सरकार को सीबीआई जांच के लिए पत्र लिख भेजा.
6 ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को दिया गया ठेका
बता दें कि बीते सिंतबर में इस घोटाले से जुड़ी 6 कंपनियों को समन जारी किया था. जांच में सामने आया था कि जो कंपनियां ब्लैक लिस्टेड हो चुकी हैं, उन्हें इस प्रोजेक्ट के ठेके दिए हैं वो भी सबसे ऊंचे दामों पर.
इनमें से एकल कंपनी है गैमन इंजिया जिसको दो ठेके दिए थे, कंपनी कई राज्यों में ब्वैक लिस्टेड है और इस कंपनी को 665 करोड़ रुपए का ठेका दिया गया. इसके अलावा केके स्पून कंपनी, इस कंपनी की बेसिक योग्यताएं भी पूरी नहीं थी, जैसे सिंचाई विभाग में पंजीकरण. इस कंपनी को पहले ठेका दिया गया और उसके बाद कंपनी रजिस्टर हुई.
इन दो कंपनियों के अलावा ईडी ने रिशु कंस्ट्रक्शन, हाईटेक कम्पेटेंट बिल्डिर्स प्राइवेट लिमिटेड और तराई कंस्ट्रक्शन को पिछले सितंबर में समन जारी किया था.
गौरतलब है कि गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सिंचाई विभाग के तत्कालीन चीफ इंजिनियर गुलेश चंद्रा (रिटायर्ड), एसएन शर्मा, काजिम अली, तत्कालीन सुपरिटेंडेंट इंजीनियर (रिटायर्ड) शिव मंगल यादव, अखिल रमन (रिटायर्ड), रूप सिंह यादव (रिटायर), कमलेश्वर सिंह और एक्जिक्यूटिव इंजीनियर सुरेंद्र यादव के खिलाफ गबन, धोखाधड़ी, जालसाजी, घूसखोरी, भ्रष्टाचार और सरकारी पद के दुरुपयोग के आरोप में सबसे पहली एफआईआर दर्ज हुई थी.