इस साल होने वाली लोकसभा चुनावों के मद्देनजर गूगल अब अपनी विज्ञापन पॉलिसी में कुछ बदलाव करने जा रहा हैं. इस बदलाव के बाद ये पता लगाया जा सकेगा कि कौन-सी राजनीतिक पार्टी अपने विज्ञापनों के लिए कितने पैसे खर्च कर रही है. ये कदम ऑनलाइन एड में पारदर्शिता लाने के लिए किया जा रहा है.
गूगल तैयार करेगा एड ट्रांसपेंरेंसी रिपोर्ट-
गूगल पर अपनी एड देने से पहले अब राजनीतिक दलों को इस सर्च इंजन प्लेटफॉर्म को अपना विवरण देना होगा. राजनीतिक पार्टियों को गूगल को पहले भारतीय चुनाव आयोग से सर्टिफाइड प्री-सर्टिफिकेट दिखाना होगा. इस सर्टिफिकेट को वेरिफाई करने के बाद गूगल अपने प्लेटफॉर्म पर किसी पार्टी के विज्ञापन को दिलाने की अनुमति देगा. बता दें कि ये नई पॉलिसी 14 फरवरी से लागू कर दी जाएगा और मार्च में इसकी ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट लाइव होगी.
इस नई पॉलिसी के तहत अब यूजर्स भी जान सकेंगे कि किस पार्टी ने विज्ञापन के लिए कितना रुपया खर्च किया है. ऑनलाइन चुनावी विज्ञापनों में पारदर्शिता लाने के लिए गूगल पॉलिटिकल एडवर्टाइजिंग इनफॉर्मेशन रिपोर्ट और पॉलिटिकल एड्स लाइब्रेरी भी पेश करेगी.
जानकारी हो कि गूगल अपने वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म यूट्यूब, सर्च पेज के अलावा एड सेंस और एड वर्ड के जरिए किसी विज्ञापन को पेश करता है. गौरतलब है कि पिछले साल अमेरिका में हुए चुनावों में भी गूगल ने पॉलिटिकल एड्स शुरु की थी. गूगल ने एक बयान जारी किया और कहा कि हमारा मकसद दुनिया में लोकतंत्र को बढ़ावा देना है चुनावों में पारदर्शिता लाना है.
ट्विटर और फेसबुक ने भी बनाई थी पॉलिसी-
गौर हो कि ट्विटर ने भी इसी महीने चुनावों में पारदर्शिता लाने के एक नया कदम उठाया है और एक ऐसे डेशबॉर्ड का निर्माण किया है जहां पार्टियों द्वारा ऑनलाइन विज्ञापनों पर खर्च का विवरण मिल सकें. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक भी पिछले साल दिसंबर में कह चुका है कि अब राजनीतिक पार्टियों को अपना पूरा विवरण देना होगा और साथ ही अपनी लोकेशन भी बतानी होगी. फेसबुक एड लाइब्रेरी को अगले 7 साल तक अपने पास स्टोर करेगा ताकि कभी भी कोई भी जानकारी को एक्सेस किया जा सकें.
बताते चलें कि सरकार ने लोकसभा चुनावों से पहले ही सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को चेतावनी देते हुए चुनावी प्रक्रियाओं में बाधा पहुंचाने वाले सभी लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा है.