आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की तैयारी में मोदी सरकार !

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नई दिल्ली: आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर सरकार के भीतर विचार चल रहा है. इसके लिए सरकार सभी जातियों में आर्थिक रूप से कमज़ोर तबकों को आरक्षण देने पर विचार कर रही है. सूत्रों के मुताबिक बातचीत अभी प्रारम्भिक स्तर पर है, लेकिन बातचीत में प्रमुख मुद्दा ये है कि कैसे वर्तमान आरक्षित जातियों को बिना छुएआर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाए.

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इसका मतलब है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के अलावा पिछड़े तबके को संविधान में मिले आरक्षण को बिना छेड़े आर्थिक आधार पर सभी जातियों के लिए आरक्षण देने पर केंद्र सरकार विचार कर रही है.

15% से 18% आर्थिक आधार पर मिलेगा आरक्षण

सरकार के उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि 15% से 18% आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जा सकता है ऐसा करने से बार-बार नई- नई जातियों से उठने वाली आरक्षण की मांग का निदान हो सकेगा.हालांकि केंद्र सरकार किसी नतीजे पर नही पहूँची है. सूत्रों के मुताबिक आर्थिक आधार पर आरक्षण पर प्रधानमंत्री मोदी आखिरी फैसला लेंगे.

आर्थिक आधार पर आरक्षण के लिए के लिए केंद्र सरकार संविधान संशोधन करना चाहती है इसके लिए संसद में संविधान संशोधन बिल लाया जाएगा. सूत्रों ने बताया कि आर्थिक आधार पर आरक्षण तभी लागू हो सकता है, जब संविधान में संशोधन कर आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% के कैप को बढ़ाया जा.सूत्रों के मुताबिक संसद में शीतकालीन सत्र में बिल लाया जा सकता है,तब तक सरकार आर्थिक आधार पर आरक्षण से जुड़ी तमाम कवायद भी पूरी कर लेगी.

गरीबी के आधार पर आरक्षण देने की जरूरत

वहीं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी शनिवार एक बयान में कहा था कि आरक्षण रोजगार देने की गारंटी नहीं है, क्योंकि नौकरियां कम हो रही हैं. महाराष्ट्र में जारी मराठा आरक्षण आंदोलन के बीच केंद्रीय परिवहन मंत्री ने कहा, ‘जाति के आधार पर नहीं, बल्कि गरीबी के आधार पर आरक्षण देने की जरूरत है, क्योंकि गरीब की जाति, भाषा और क्षेत्र नहीं होती है.’

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उन्होंने कहा कि अगर आरक्षण किसी समुदाय को मिल भी जाता है, तो नौकरियां कहां हैं, बैंकों में आईटी की वजह से नौकरियां नहीं हैं. मीडिया से बातचीत के दौरान कही. वो आरक्षण के लिए मराठा आंदोलन और अन्य समुदायों द्वारा इस तरह की मांग से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे.

गौरतलब है कि मंत्री का बयान ऐसे समय में आया है जब महाराष्ट्र में मराठा आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्र में 16 प्रतिशत आरक्षण मिले. संविधान में आरक्षण का प्रावधान जाति के आधार पर है न की आर्थिक आधार पर.

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