Monday, April 14, 2025

आ गई नई ‘कूल रूफ’ तकनीक, तेज गर्मी में बिना एसी ठंडा रहेगा कमरा

गुजरात की तपती झुग्गियों में एक नई उम्मीद की किरण जगी है। अहमदाबाद की सैकड़ों झुग्गियों की छतों पर बीते कुछ महीनों में सफेद, रिफ्लेक्टिव पेंट की एक परत चढ़ाई गई है, जो गर्मी से बचाव में बेहद कारगर साबित हो रही है। ये पहल केवल एक प्रयोग नहीं, बल्कि एक वैश्विक रिसर्च का हिस्सा है, जिसमें यह समझने की कोशिश की जा रही है कि अत्यधिक गर्मी का लोगों के स्वास्थ्य और उनकी आर्थिक स्थिति पर क्या असर पड़ता है – और क्या ‘कूल रूफ’ इसका समाधान हो सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग से घरों को बचाने के लिए शुरू किया गया प्रोजेक्ट

यह एक प्रोजेक्ट है जिसके तहत लगातार बढ़ रही ग्लोबल वार्मिंग के बीच घरों को ठंडा रखने की कोशिशों पर काम हो रहा है। स्विट्ज़रलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ हीडेलबर्ग की एपिडेमियोलॉजिस्ट अदिति बंकर इस प्रोजेक्ट की अगुवाई कर रही हैं। उनका कहना है कि पहले घर को शरण और सुकून की जगह माना जाता था, लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि घर ही गर्मी का कारण बन गया है।

अहमदाबाद की भीषण गर्मी में मिल रही राहत की छांव

अहमदाबाद का तापमान हाल के वर्षों में 46°C (115°F) से भी ऊपर जा चुका है। ऐसे में एक कमरे वाले, बिना वेंटिलेशन वाले घरों में रहना मानो उबलते बर्तन में बैठने जैसा है। लेकिन जिन घरों की छतों पर यह खास सफेद कोटिंग की गई है, वहां के निवासी इसका सकारात्मक असर महसूस कर रहे हैं। वांजरा वास झुग्गी में रहने वाले नेहल विजयभाई भील बताते हैं कि अब फ्रिज गरम नहीं होता, घर ठंडा लगता है और नींद भी अच्छी आती है। सबसे बड़ी बात – बिजली का बिल भी कम आ रहा है! इस प्रोजेक्ट में शामिल होने से पहले आरती चूनारा अपने घर की छत पर प्लास्टिक की चादर और घास बिछाया करती थीं ताकि गर्मी से थोड़ा राहत मिल सके। कई बार तो परिवार पूरा दिन बाहर ही बिताता था, क्योंकि घर के अंदर रुकना मुश्किल हो जाता था।

क्या है ‘कूल रूफ’ तकनीक?

इस तकनीक में छत पर एक सफेद रंग की परत चढ़ाई जाती है, जिसमें टाइटेनियम डाइऑक्साइड जैसे रिफ्लेक्टिव पिग्मेंट्स होते हैं। ये सूर्य की किरणों को वापस वातावरण में भेजते हैं, जिससे घर की दीवारें और छत गर्म नहीं होतीं। अदिति बंकर कहती हैं, “झुग्गियों में तो अक्सर इंसुलेशन होता ही नहीं, इसलिए गर्मी सीधे छत से घर में घुस जाती है। ऐसे में कूल रूफ्स एक सस्ता और प्रभावी समाधान बन सकते हैं।”

एक साल की स्टडी, कई देशों में हो रहा ट्रायल

यह रिसर्च केवल भारत तक सीमित नहीं है। बर्किना फासो, मैक्सिको और साउथ पैसिफिक के निउ द्वीप पर भी यह ट्रायल चल रहा है। इन देशों में अलग-अलग जलवायु और निर्माण सामग्रियों के बीच यह देखा जा रहा है कि कूल रूफ कितनी कारगर है। बर्किना फासो की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, कूल रूफ्स ने टिन और मिट्टी की छत वाले घरों में तापमान को 1.2°C तक कम किया, जबकि सिर्फ टिन वाली छतों में यह गिरावट 1.7°C तक दर्ज की गई – और इसका सीधा असर लोगों की हृदय गति पर भी पड़ा।

कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि गर्मियों की तपिश से जूझते शहरों में कूल रूफ्स न केवल एक स्थायी समाधान हैं, बल्कि स्वास्थ्य और आर्थिक दृष्टि से भी राहत देने वाले साबित हो सकते हैं। यह पहल बताती है कि छोटे बदलाव, जब सही दिशा में किए जाएं, तो जीवन में बड़ा अंतर ला सकते हैं।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles