हनुमान जी की जाति: दलित से मुसलमान और राजभर तक, कौन क्या कह रहा है?

भारत में भगवान हनुमान को लेकर अलग-अलग राजनीतिक और धार्मिक बयान सामने आते रहते हैं। हाल ही में योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने हनुमान जी को राजभर जाति का बताया, जिसके बाद एक बार फिर से हनुमान की जाति को लेकर बहस छिड़ गई है। इस मामले में केवल ओम प्रकाश राजभर ही नहीं, बल्कि अन्य नेता भी हनुमान जी को अलग-अलग जातियों से जोड़ चुके हैं। कभी हनुमान को दलित बताया गया, तो कभी उन्हें मुसलमान, जाट, क्षत्रिय, आदिवासी, ब्राह्मण और यहां तक कि जैन धर्म का अनुयायी भी कहा गया। आइए, जानते हैं हनुमान जी के बारे में की गई कुछ प्रमुख जातिवादी टिप्पणियां, जो विवादों का कारण बनीं।
राजभर जाति में जन्मे थे हनुमान जी?
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने हनुमान जी को राजभर जाति का बताया। बलिया जिले के चितबड़ागांव क्षेत्र में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि जब राम-लक्ष्मण को अहिरावण ने पाताल लोक में बंदी बना लिया था, तब हनुमान जी ही एकमात्र व्यक्ति थे, जिन्होंने उन्हें बाहर निकाला। राजभर का कहना था कि गांवों में आज भी बुजुर्ग बच्चों से लड़ाई के समय कहते हैं कि “तुम भर बानर हो”, यानी हनुमान जी ने बानर के रूप में जन्म लिया था। इस बयान के साथ ही उन्होंने साफ कहा कि हनुमान जी राजभर जाति से थे।
हनुमान जी को दलित बताया था सीएम योगी ने
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2018 में राजस्थान विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भगवान हनुमान को दलित, वनवासी और वंचित बताया था। योगी का कहना था कि हनुमान जी एक ऐसे लोक देवता हैं, जो स्वयं वनवासी और दलित थे। उन्होंने हनुमान जी के उदाहरण से यह समझाया कि वह भारतीय समाज के सभी वर्गों को जोड़ने का काम करते हैं। इस बयान के बाद हनुमान जी की जाति पर काफी विवाद हुआ था और यह मुद्दा राजनीतिक गरमा-गर्मी का कारण बना।
सावित्री बाई फुले का बयान: हनुमान जी थे गुलाम
बहराइच की पूर्व सांसद और बीजेपी नेता सावित्री बाई फुले ने भी हनुमान जी को लेकर एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने हनुमान जी को दलित बताते हुए कहा था कि वह मनुवादियों के गुलाम थे। उनका कहना था कि हनुमान जी ने भगवान राम की सेवा की, लेकिन बाद में उन्हें बंदर का रूप दे दिया गया, क्योंकि वह दलित थे। फुले ने यह भी सवाल उठाया कि जब हनुमान जी ने राम का बेड़ा पार किया, तो उन्हें इंसान क्यों नहीं बनाया गया। उनके मुताबिक, यह सब केवल इसलिए किया गया क्योंकि वह दलित थे।
हनुमान जी को आर्य, जाट, या क्षत्रिय क्यों कहा गया?
कुछ नेताओं ने हनुमान जी की जाति को लेकर अलग-अलग विचार व्यक्त किए। बागपत के सांसद सत्यपाल सिंह ने कहा था कि भगवान राम और हनुमान जी के समय में जाति व्यवस्था नहीं थी, और इसीलिए उन्होंने हनुमान जी को आर्य बताया। उनका कहना था कि हनुमान जी एक आर्य थे, क्योंकि उनके समय में कोई जातिवाद नहीं था।
वहीं, योगी सरकार के मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने हनुमान जी को जाट बताया था। उनका तर्क था कि जाट लोग किसी की भी मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, और हनुमान जी की यह गुण उन्हें जाट बनाता है।
योग गुरु बाबा रामदेव ने हनुमान जी को क्षत्रिय बताया था। उनका मानना था कि हनुमान जी रामभक्त थे और उनका व्यक्तित्व क्षत्रिय गुणों से भरा हुआ था। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने तो हनुमान जी को ब्राह्मण भी बताया था। उन्होंने तुलसीदास के काव्य से यह प्रमाणित करने की कोशिश की थी कि हनुमान जी ब्राह्मण थे, न कि दलित।
बुक्कल नवाब का विवादित बयान: हनुमान जी मुसलमान थे
सपा छोड़कर बीजेपी में आए बुक्कल नवाब ने हनुमान जी को मुसलमान बताया था। उनका कहना था कि हनुमान जी मुसलमान थे, इसलिए इस्लाम में रहमान, रमजान, फरमान, सुलेमान, जीशान और कुर्बान जैसे नाम होते हैं, जबकि हिंदू धर्म में ऐसे नाम नहीं होते। बुक्कल नवाब का यह बयान भी काफी विवादास्पद था और उन्होंने हनुमान जी की जाति को लेकर समाज में हलचल मचाई थी।
हनुमान जी को आदिवासी, ब्राह्मण और जैन धर्म का बताया गया
कई अन्य नेताओं ने हनुमान जी की जाति को लेकर और भी विवादित बयान दिए हैं। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCSC) के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने हनुमान जी को आदिवासी बताया था। वहीं, आचार्य निर्भय सागर ने हनुमान जी को जैन समाज का बताया था। उनका कहना था कि हनुमान ने जैन धर्म के अहिंसा सिद्धांत को अपनाया था और इसलिए वह जैन धर्म से संबंधित थे।
कुल मिलाकर क्या है हनुमान जी की जाति?
भगवान हनुमान की जाति को लेकर आए दिन नई-नई टिप्पणियां होती रहती हैं। यह विवाद हर बार तूल पकड़ता है, लेकिन हनुमान जी की जाति एक धार्मिक और ऐतिहासिक सवाल के रूप में उभरकर सामने आता है। हनुमान जी के बारे में जो भी टिप्पणियां की जाती हैं, वह आम तौर पर समाज के विभिन्न वर्गों के हितों और विचारों से जुड़ी होती हैं। लेकिन असल में हनुमान जी का संदेश जाति-व्यवस्था से परे है। वह एक ऐसे देवता हैं जिन्होंने भक्ति, समर्पण और सेवा की मिसाल पेश की, और सभी जातियों और वर्गों के लिए प्रेरणा स्रोत बने।

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