नई दिल्ली: गुजरात में पाटीदार आंदोलन को अपने चरम पर ले जाने वाले युवा और अब कांग्रेसी नेता हार्दिक पटेल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है वे इस बार का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने मेहसाणा दंगा केस में मिली उनकी सजा पर रोक लगाने संबंधी याचिका पर सुनवाई से इनकार दिया है। 4 मार्च तीसरे चरण के चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि है, ऐसे में अब हार्दिक का चुनाव लड़ना नामुमकिन होगा।
पिछले हफ्ते 29 मार्च को गुजरात हाईकोर्ट ने 2015 के मेहसाणा दंगा केस में उन्हें मिली 2 साल की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सजा मिलने के बाद से ही वह जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 के प्रावधानों के मुताबिक चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गए थे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के तौर पर उनके पास आखिरी विकल्प बचा था जहां अपील कर वह राहत पा सकते थे और उसके बाद नामांकन कर सकते थे। मगर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।
हार्दिक ने हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील की थी कि लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्हें सजा से छूट दे दी जाए। पिछले साल जुलाई में गुजरात की एक अदालत ने भाजपा विधायक के दफ्तर पर हमला करने के आरोप में हार्दिक पटेल और उनके दो अन्य साथियों को दोषी ठहराया था। अदालत ने पटेल और उनके साथियों को दो-दो साल की सजा सुनाई थी। इसके अलावा उन्हें 50-50 हजार रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया था।
ज्ञात हो कि मेहसाणा के विसनगर में 23 जुलाई 2015 को भाजपा विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ की गई थी। तोड़फोड़ का आरोप हार्दिक पटेल और उनके दो साथियों एके पटेल और लालजी पटेल पर लगा था। गुजरात की सभी लोकसभा सीटों पर तीसरे चरण के दौरान 23 अप्रैल को मतदान होना है। चुनाव की अधिसूचना 28 मार्च को जारी हो गई है और नॉमिनेशन 28 मार्च से 4 अप्रैल तक किए जा सकेंगे। हार्दिक पटेल का चुनाव लड़ना या ना लड़ना अब इस बात पर निर्भर करेगा कि उन्हें 4 अप्रैल से पहले सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत मिलती है या नहीं।