हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच एक समझौते के आसार नजर आ रहे हैं। सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हाल ही में एक बयान देकर यह इशारा किया है कि उनकी पार्टी हरियाणा में चुनाव नहीं लड़ेगी। अखिलेश यादव ने कहा कि इंडिया गठबंधन के पास एकजुटता का नया इतिहास लिखने का मौका है और यह समय किसी दल के लिए राजनीतिक संभावना तलाशने का नहीं बल्कि त्याग का है।
अखिलेश यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा, “हरियाणा चुनाव में ‘INDIA ALLIANCE’ की एकजुटता नया इतिहास लिखने में सक्षम है। हम बार-बार कह चुके हैं कि सीट की बात नहीं, बल्कि जीत की बात है। हरियाणा के विकास और सौहार्द की विरोधी भाजपा की नकारात्मक राजनीति को हराने के लिए ‘इंडिया एलायंस’ की जो भी पार्टी सक्षम होगी, हम उसके साथ मिलकर काम करेंगे।”
सपा अध्यक्ष ने आगे कहा कि इस समय दो-चार सीटों पर प्रत्याशी उतारने की नहीं, बल्कि जनता के दुख-दर्द को समझते हुए भाजपा की भ्रष्ट और जोड़-तोड़ की राजनीति से मुक्ति दिलाने की बात है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने पिछले दस सालों में हरियाणा के विकास को पीछे धकेल दिया है। अब समय है कि राजनीतिक स्वार्थ को छोड़कर जनहित में काम किया जाए।
अखिलेश यादव के इस बयान से सियासी हलचल तेज हो गई है। उनके इस संदेश से ऐसा लगता है कि सपा हरियाणा चुनाव से दूरी बना सकती है, जबकि पहले चर्चा थी कि सपा यूपी में कांग्रेस के साथ तभी सीटें साझा करेगी जब कांग्रेस हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में उन्हें सीट देने के लिए तैयार होगी।
इस तरह के संकेत कांग्रेस और सपा के बीच एक समझौते के संभावनाओं को मजबूत कर रहे हैं और यह स्पष्ट कर रहे हैं कि दोनों पार्टियां आगामी चुनाव में मिलकर भाजपा के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा बनाएंगी।