Friday, October 18, 2024
f08c47fec0942fa0

हरियाणा की नई कैबिनेट: ओबीसी को तवज्जो, जाट और पंजाबी का सम्मान कम

हरियाणा में नायब सिंह सैनी ने अपने मंत्रिमंडल का गठन कर लिया है, जिसमें ओबीसी समुदाय को प्रमुखता दी गई है। इस बार सैनी के साथ 13 मंत्रियों ने शपथ ली है, जिनमें से पांच ओबीसी हैं। इससे स्पष्ट है कि बीजेपी ने अपने चुनावी समर्थन को ध्यान में रखते हुए ओबीसी वोट बैंक को साधने का प्रयास किया है। वहीं, जाट और पंजाबी समुदायों को अपेक्षित सम्मान नहीं मिल पाया है।

ओबीसी की बढ़ती हिस्सेदारी

हरियाणा में ओबीसी की आबादी लगभग 35% है, और मंत्रिमंडल में भी इसी अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया गया है। नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाने के साथ-साथ, यादव और गुर्जर समुदाय से भी मंत्रियों का चयन किया गया है। इससे संकेत मिलता है कि बीजेपी ने ओबीसी वर्ग के समर्थन को सुरक्षित करने की रणनीति अपनाई है, खासकर दक्षिण हरियाणा में।

दलित और ब्राह्मणों का स्थान

बीजेपी ने चुनाव में दलित और ब्राह्मण वोट बैंक को भी महत्व दिया। इस बार दो दलित और दो ब्राह्मण नेताओं को कैबिनेट में जगह मिली है। इससे दलित समुदाय को अपनी आवाज को मजबूत करने का अवसर मिला है। बीजेपी ने दलितों के प्रति अपनी नीतियों को स्पष्ट करते हुए इस समुदाय का समर्थन हासिल करने की कोशिश की है।

जाट और पंजाबी समुदाय का प्रतिनिधित्व

हालांकि, जाट समुदाय के लिए केवल दो मंत्री बनाए गए हैं, जो पिछली सरकार के मुकाबले कम है। जाट समुदाय का समर्थन इस बार कांग्रेस की तरफ झुकाव दिखाता है, जिससे उनकी हिस्सेदारी कम हुई। पंजाबी समुदाय के लिए भी केवल एक मंत्री का चयन हुआ है, जबकि पहले के कार्यकाल में इस समुदाय का प्रतिनिधित्व ज्यादा था।

बीजेपी का कोर वोट बैंक

पंजाबी और वैश्य समुदाय बीजेपी का पारंपरिक वोट बैंक माने जाते हैं। इस बार वैश्य समुदाय से एकमात्र विपुल गोयल को मंत्री बनाया गया है। इसके विपरीत, पंजाबी समुदाय के लिए उनकी अपेक्षाओं के अनुसार प्रतिनिधित्व कम रहा है। पिछले कार्यकाल में ज्यादा मंत्री होने के बावजूद, इस बार उन्हें उचित सम्मान नहीं मिला, जिससे सवाल उठ रहे हैं।

सियासी संतुलन और भविष्य की चुनौतियां

हरियाणा में बीजेपी की राजनीति में जातीय समीकरणों को साधना एक महत्वपूर्ण पहलू बन गया है। जाट बनाम गैर जाट नैरेटिव ने बीजेपी को चुनावी लाभ दिया, लेकिन जाट और पंजाबी समुदाय की अनदेखी ने भविष्य में बीजेपी के लिए चुनौतियाँ खड़ी की हैं। यदि इन समुदायों का समर्थन नहीं मिला, तो आगामी चुनावों में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

हरियाणा की नई सरकार में जातीय संतुलन साधने के प्रयासों के बीच, जाट और पंजाबी समुदाय की अनदेखी से राजनीतिक समीकरणों में बदलाव आ सकता है। बीजेपी को अपने पारंपरिक वोट बैंकों को बनाए रखने के लिए इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता होगी।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles