Monday, April 7, 2025

14 मुस्लिम पंचों के बीच हिंदू महिला बनी सरपंच, नूंह जिले के मुस्लिम बहुल गांव ने रची मिसाल

हरियाणा के नूंह जिले का सिरोली गांव ने देश की गंगा-जमुनी तहजीब की एक अद्भुत मिसाल दी है। मुस्लिम बहुल गांव सिरोली ने इस बार ऐतिहासिक फैसला लेते हुए हिंदू महिला को सरपंच चुना है। इस गांव में 3,296 मतदाताओं में से केवल 250 हिंदू वोटर हैं, और फिर भी इस गांव की सरपंच एक हिंदू महिला, निशा चौहान, चुनी गई। यह घटना न केवल सिरोली, बल्कि पूरे हरियाणा में भाईचारे और एकता का बेहतरीन उदाहरण बन गई है।

मुस्लिम बहुलता के बावजूद हिंदू महिला बनी सरपंच तो देश को मिली अद्भुत मिसाल

सिरोली गांव में ग्राम पंचायत में कुल 15 पंच होते हैं, जिनमें से 14 मुस्लिम समुदाय से हैं। इस बार सरपंच के चुनाव में पंचों ने एकता और सामूहिक निर्णय का अद्भुत उदाहरण पेश किया। मुस्लिम पंचों ने सर्वसम्मति से हिंदू समुदाय की सदस्य, निशा चौहान को सरपंच के पद पर चुनने का फैसला लिया।

सांप्रदायिक संघर्ष के लिए जाना जाता है नूंह

नूंह जिले को अक्सर सांप्रदायिक संघर्ष के लिए जाना जाता है, लेकिन सिरोली गांव ने अपनी सहिष्णुता और एकता से यह साबित कर दिया कि हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच गहरी दोस्ती और भाईचारे की परंपरा है। निशा चौहान का कहना है कि यह उनके गांव की सदियों पुरानी हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है, और उनके चुनाव से पूरे क्षेत्र में सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश जाएगा।

15 में से 10 पंचों ने निशा चौहान को दिया वोट

पंचायत अधिकारी नसीम के अनुसार, 2 अप्रैल को 30 वर्षीय निशा चौहान को सिरोली का सरपंच चुना गया। यह नूंह जिले के किसी मुस्लिम बहुल गांव में हिंदू सरपंच चुने जाने का पहला मामला है। नूंह के खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी शमशेर सिंह के अनुसार, सिरोली पंचायत में 15 में से 8 पंच महिलाएं हैं, और सरपंच का पद महिलाओं के लिए आरक्षित है। चुनाव में 10 पंचों ने निशा चौहान के पक्ष में वोट डाला, जिससे यह साफ हो गया कि यहां की पंचायत में किसी भी तरह का धार्मिक भेदभाव नहीं है।

यहां मिलकर रहते हैं हिंदू-मुस्लिम परिवार

यह गांव पुन्हाना ब्लॉक में स्थित है, और यहां की सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन में हिंदू-मुस्लिम समुदाय एक-दूसरे के साथ मिलकर रहते हैं। एक मुस्लिम परिवार अपने हिंदू पड़ोसियों के साथ अच्छे रिश्ते रखता है, और अगर कोई गलती करता है तो उसे डांट भी सकता है। गांव के लोग एक-दूसरे की शादियों और अन्य सामाजिक समारोहों में सक्रिय रूप से शामिल होते हैं। पूर्व सरपंच अशरफ अली ने कहा कि पंचों ने निशा चौहान को इस उम्मीद के साथ चुना कि वह पिछली सरपंचों से बेहतर काम करेंगी, और क्षेत्र में शांति और विकास लाएंगी।

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