दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में घोषणा की है कि वे दो दिन में अपने पद से इस्तीफा देने जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद, केजरीवाल ने यह बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को बताया कि उनका इस्तीफा हरियाणा में चुनावी माहौल को प्रभावित कर सकता है, जहां वे नए इमोशनल कार्ड के साथ चुनावी मैदान में उतर सकते हैं।
केजरीवाल ने स्पष्ट किया है कि वे तब तक दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में नहीं रहेंगे जब तक दिल्ली की जनता अपना फैसला नहीं देती। इस कदम से हरियाणा में चुनावी माहौल और भी गर्मा सकता है। केजरीवाल की यह तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने की अवधि है। पहली बार उन्होंने दिसंबर 2013 में पद संभाला, लेकिन सरकार केवल 48 दिनों तक ही रही। फिर 2015 और 2020 में उन्होंने दिल्ली में दो बार पूर्ण बहुमत से जीत हासिल की और मुख्यमंत्री बने।
हरियाणा के चुनावी प्रचार में नया मोड़
केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान के बाद दिल्ली से लेकर हरियाणा तक सियासी हलचल तेज हो गई है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और आम आदमी पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा केजरीवाल हैं। माना जा रहा है कि केजरीवाल इस्तीफा देकर हरियाणा के चुनावी मैदान में एक इमोशनल कार्ड खेलेंगे।
आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में कांग्रेस के साथ गठबंधन की कोशिश की थी, लेकिन बातचीत सफल नहीं रही। इसके बाद, पार्टी ने सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
पिछले लोकसभा चुनाव में हरियाणा में AAP का वोट शेयर 4 फीसदी के करीब पहुंच गया था। हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को केवल 1 फीसदी वोट शेयर मिला था और किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। लेकिन हाल के वर्षों में पार्टी की स्थिति में सुधार आया है और कार्यकर्ताओं में नया उत्साह है।
हरियाणा की मौजूदा राजनीति
हरियाणा में पिछले 10 साल से बीजेपी की सरकार है। 2019 के विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था, लेकिन बीजेपी ने जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। अब बीजेपी और जेजेपी के बीच की राहें अलग हो गई हैं और चुनावी माहौल में बदलाव देखने को मिल रहा है।
5 अक्टूबर को हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा और 8 अक्टूबर को चुनाव के नतीजे आएंगे। इस बार चुनाव में बीजेपी और जेजेपी के अलग होने के बाद, कई दल अपनी किस्मत आजमाने की तैयारी में हैं। AAP, कांग्रेस, और अन्य क्षेत्रीय पार्टियां नई रणनीतियों के साथ चुनावी मैदान में हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार की चुनावी लड़ाई में कौन सी पार्टी सफल होती है और हरियाणा की सत्ता पर कौन काबिज होता है।