नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद की जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर बुधवार को अपना आदेश सुरक्षित कर लिया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस.के.कौल और न्यायमूर्ति के.एम.जोसेफ की पीठ ने आदेश को सुरक्षित कर लिया, जबकि महान्यायवादी के.के.वेणुगोपाल ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले का बचाव किया।
हालांकि, वेणुगोपाल ने माना कि सौदे का समर्थन कर रही फ्रांस सरकार ने लड़ाकू विमान की आपूर्ति में गड़बड़ी की स्थिति में जिम्मेदारी लेने की गारंटी नहीं दी है।
बुधवार को हुई सुनवाई में अदालत में सुननाई के दौरान वायुसेना के उपप्रमुख एअर मार्शल वी आर चौधरी एवं दो अन्य अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश हुए.
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इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वह राफेल विमान की कीमतों पर नहीं वायु सेना की जरूरतों पर चर्चा कर रही है. कोर्ट ने साथ ही कहा कि कीमत पर कोई भी चर्चा तभी हो सकती है, जब इन तथ्यों को सार्वजनिक पटल पर आने की अनुमति दी जाएगी. अदालत ने कहा कि हमें इस बात पर फैसला करने की जरूरत है कि कीमतों का ब्योरा सार्वजनिक किया जाए या नहीं.
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प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ से याचिकाकर्ताों ने इस मामले को संवैधानिक बेंच को सौंपने की मांग की. इस मामले के याचिकाकर्ताओं में शामिल वरिष्ठ वकील एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सरकार द्वारा दाखिल की गई रिपोर्ट से यह पता चलता है कि मई 2015 के बाद निर्णय लेने में कई गंभीर घोटाले किए गए हैं. याचिकाकर्ता ने मांग की है कि पांच जजों की बेंच इस पर सुनवाई करे.