हेमकुंड साहिब और लोकपाल लक्ष्मण के कपाट शीतकाल के लिए बंद

कपाट बंद होने की प्रक्रिया के दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने हेमकुंड साहिब में माथा टेककर मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना की. हेमकुंड साहिब के कपाट बुधवार को एक बजकर 30 मिनट पर विधि-विधान के साथ बंद किए गए. साथ ही लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी बंद किए गए.

गोपेश्वर: बरसात की समाप्ति और शीतकाल की शुरुआत के साथ ही अब उत्तराखंड के देव धामों के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने की शुरुआत हो गई है. सबसे पहले हेमकुंड साहिब और लोकपाल लक्ष्मण के कपाट बंद किए गए. उत्तराखंड के पांचवें धाम रूप में विख्यात हेमकुंड साहिब सिख धर्मावलांबियों की आस्था का प्रसिद्ध केंद्र है जबकि लोकपाल लक्ष्मण मंदिर हिन्दू श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक.

हजारों श्रद्धालु पहुंचे

कपाट बंद होने की प्रक्रिया के दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने हेमकुंड साहिब में माथा टेककर मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना की. हेमकुंड साहिब के कपाट बुधवार को एक बजकर 30 मिनट पर विधि-विधान के साथ बंद किए गए. साथ ही लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी बंद किए गए. आपको बता दें कि हेमकुंड गुरुद्वारे के पास ही लोकपाल लक्ष्मण मंदिर है. हेमकुंड के कपाट खुलने के दौरान इस मंदिर के भी कपाट खुलते हैं, जबकि बंद भी एक साथ होते हैं.

पढ़ी गई साल की आखिरी अरदास

इससे पहले हेमकुंड साहिब मे गुरुवाणी के साथ भजन का आयोजन किया गया. साथ ही एक बजे से साल की अंतिम अरदास पढ़ी गई. इस बार हेमकुंड साहिब में करीब 2 लाख तीस हजार तीर्थ यात्रियों ने दर्शन किए. सितंबर महीने से हेमकुंड साहिब में बर्फ भी गिर रही है, जिसके बाद धाम मे कड़ाके की ठंड़ शुरू हो गर्इ है.

सबसे कठिन है हेमकुंड की यात्रा

हेमकुंड साहिब की यात्रा उत्तराखंड में सबसे दुरूह है. फिर भी यहां आने वाले श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं होता. ये सात पर्वत चोटियों से घिरा हुआ एक हिमनदों झील के साथ 4632 मीटर (15,197 फीट) की ऊंचाई पर हिमालय में स्थित है. इसकी सात पर्वत चोटियों की चट्टान पर एक निशान साहिब सजा हुआ है. इस जगह का वर्णन गुरु गोविन्द सिंह ने अपनी जीवनी में भी किया है.

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