इधर गठबंधन तो उधर CBI के छापे, क्या होगा यूपी में सपा-बसपा के गठबंधन का भविष्य?
गजब का इत्तेफाक है कि शनिवार को सपा-बसपा में सीटों का फॉर्मूला तैयार हुआ और उधर दिन ढलते-ढलते सीबीआई ने यूपी के कई इलाकों में धड़ाधड़ छापेमारी की. अवैध खनन को लेकर पड़ी इस छापेमारी ने सत्ता की गलियों से लेकर यूपी की नौकरशाही तक को हिला कर रख दिया. चर्चाओं का बाजार गर्म हो चुका है कि क्या इस जांच की आंच गठबंधन तक आ पहुंचेगी?
राजनीतिक संबंधों पर भारी पड़ेगी जांच
क्या इन जांचों का असर सपा-बसपा के गठबंधन में गांठें डालने का काम करेगा या फिर इनका गठबंधन और ज्यादा मजबूत हो जाएगा? अगर बात करें सपा और बसपा के समय की सत्ता की जो उस समय में हुए घोटालों की फेहरिस्त बहुत लंबी है. अगर जांच का शिकंजा कसा गया तो इस जांच की आग की लपटें अखिलेश यादव तक भी पहुंच सकती हैं.
आईएएस अधिकारी पर जांच
गौरतलब है कि शनिवार को हमीरपुर, नोएडा, लखनऊ और कानपुर समेत काफी इलाकों में सीबाआई ने छापेमारी की, ये छापेमारी अवैध रेत खनन मामले से जुड़ी हुई है. इस छापेमारी फंसी आईएएस अधिकारी बी. चंद्रकला के तार कहीं न कहीं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से जुड़े हुए हैं. क्योंकि जब इस घोटाले की शुरुआत हुई तब अखिलेश बतौर मुख्यमंत्री खनन विभाग संभाल रहे थे.
सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में साफ लिखा है कि वर्ष 2012 से 2016 तक जो खनन मंत्री रहा उसकी भी गहन विवेचना होगी. इस दौरान अखिलेश यादव के पास ही खनन विभाग था. इसके साथ ही मुलायम परिवार के एक और करीबी गायत्री प्रसाद प्रजापति की भी भूमिका जांच के घेरे में है.
गायत्री की डायरी से खुलेंगे कई राज
सीबीआई को तत्कालीन खनन मंत्री गायत्री प्रजापति की एक डायरी की जानकारी मिली है. इस डायरी में कई बड़ों के साथ हिसाब का लेखा-जोखा है. फिलहाल, ये डायरी भी चर्चा का विषय बनी हुई है.
खैर, क्या ये कहना गलत होगा कि 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले केंद्र सरकार और राज्य सरकार इन जांचों के हवाले से गठबंधन की घेराबंदी कर रही है?