नई दिल्ली: गर्मी को देखते हुए केजरीवाल सरकार ने दिल्ली वासियों को पानी की अबाध आपूर्ति के लिए पहले ही कमर कस ली है। उसने अपनी वजीराबाद जलाशय को तीन महीने के लिए भरा रखने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया है। सरकार की तरफ से दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि जलापूर्ति के मामले में हरियाणा सरकार से सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन कराया जाए। निर्देशों का पालन सुनिश्चित कराने का जिम्मा केंद्र सरकार को दिया जाए।
कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन की पीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई 15 अप्रैल को होनी है।डीजेबी ने हरियाणा से होने वाली जल आपूर्ति में कोई कटौती नहीं होने के लिए आास्त होना चाहता है। उसने कहा है कि वजीराबाद जलाशय को भरने के लिए कम से कम 120 क्यूसेक पानी और चाहिए। इसे देने में हरियाणा अनिच्छा जाहिर की है। यह कोर्ट के अदालती आदेश का अवहेलना है।
वासंतिक नवरात्र आज से, यह है कलश स्थापना का सर्वोत्तम समय
उसने कोर्ट से आग्रह किया है कि वह खुद आगामी 100 दिनों तक हरियाणा से होनेवाले जलापूर्ति की निगरानी करे। उसने कहा कि हरियाणा को सभी स्त्रतों से लगभग 22 हजार क्यूसेक पानी मिलता है। लेकिन उसे अपनी वजीराबाद जलाशय भरने के लिए मात्र 120 क्यूसेक ही चाहिए। वह भी जून तक के लिए। लेकिन हरियाणा इसे देने के लिए तैयार नहीं है। इससे पहले डीजेबी कोर्ट से कह चुका है कि आगामी कुछ हफ्तों के लिए नई दिल्ली क्षेत्र में पानी की बड़ी समस्या होगी। इससे लुटियन दिल्ली स्थित राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, न्यायमूर्ति समेत अन्य सरकारी आवासों की जलापूर्ति प्रभावित होगी।
हरियाणा ने 14 मार्च को हलफनामा दाखिल कर दिल्ली पर हर साल कम से कम तीन सौ क्यूसेक पानी बर्बाद करने का आरोप लगाया था। उसने कहा था कि इसके बावजूद वह दिल्ली को जरूरत के अनुसार पानी की आपूर्ति करता रहा है। हरियाणा ने कहा है कि वजीराबाद में काफी पानी बर्बाद किया जा रहा है। इससे पहले 5 फरवरी को हरियाणा सरकार ने दिल्ली को कम पानी देने के आरोप से इनकार किया था। उसने कहा था कि खास मौके पर और पानी की जरूरत पड़ी तो उसकी भी आपूर्ति कर दी जाएगी। मालूम हो कि जल बोर्ड ने अर्जी लगाकर कहा था कि हरियाणा ने 30 फीसद उनकी पानी की आपूर्ति घटा दी है जिससे एनडीएमसी समेत दिल्ली के कई इलाकों में अभी से पानी की किल्लत हो गई है, जबकि अभी गर्मी पूरी तरह नहीं आई है।