ओम राउत के डायरेक्शन में बनी “आदिपुरुष” पर अब फिर विवादों के बादल छाने लगे हैं। फिल्म के रिलीज होने के बाद हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गए। इन्होंने फिल्म आदिपुरुष को जारी सेंसर सर्टिफिकेट रद्द करने के साथ ही फिल्म को बैन करने की मांग करी।इन्होने कहा कि आदिपुरुष फिल्म से हिंदुओं की भावनाओं को आहत हुई है।
]याचिका में लिखा है कि इस फिल्म में गलत तरह से पात्रों को दिखाकर हिंदू समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई गयी है। महार्षि वालमिकी और संत तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामायण में जिस तरह से पात्रों को दर्शाया गया है। उस हिसाब से फिल्म के सभी कैरेक्टर्स मेल नहीं खाते हैं। इतना ही नहीं, इसमें जिस तरह की भाषा बोली गई है, वो सभी त्रेता युग में कभी इस्तेमाल नहीं की गई है। फिल्म निर्माताओं, निर्देशकों और अभिनेताओं ने चरित्रों से छेड़छाड़ कर हिंदुओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि फिल्म निर्माताओं और निर्देशकों से फिल्म में ‘सुधारात्मक उपाय’ करने की माँग की गई है। इसमें कहा गया है, “आदिपुरुष फिल्म द्वारा हिंदू धार्मिक शख्सियतों का विकृत सार्वजनिक प्रदर्शन अंतरात्मा और अभ्यास की स्वतंत्रता का स्पष्ट उल्लंघन है। यह अनुच्छेद 26 के तहत धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता का भी उल्लंघन है।”
आदिपुरुष फिल्म नेपाल में शुक्रवार सुबह रिलीज नहीं हुई। काठमांडू के मेयर ने फिल्म के एक संवाद पर आपत्ति जताई कि “सीता भारत की बेटी है” और कहा कि यह तथ्यात्मक रूप से गलत है क्योंकि सीता नेपाल की बेटी हैं। मेयर बालेन शाह ने धमकी दी कि अगर संवाद को ठीक नहीं किया गया तो काठमांडू में सभी भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। रिपोर्टों में कहा गया है कि संवाद को बाद में संपादित किया गया था।
याचिका में तर्क दिया गया है कि हिंदुओं के भगवान राम, सीता, और हनुमान की छवि के बारे में एक विशेष नजरिया है और फिल्म निर्माताओं, निर्देशकों और अभिनेताओं द्वारा उनकी दिव्य छवि में कोई भी बदलाव उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। इसलिए करीब 600-700 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म को बैन करने की मांग की जा रही है। इसे सिनेमाघरों में न दिखाने और इसे सर्टिफिटेक न देखने की भी अपील, हिंदू सेना की तरफ से की गई है।